नई दिल्ली: देश की पहली स्वदेशी कारबाइन बनकर तैयार हो चुकी है और सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार है. डीआरडीओ और ओएफबी द्वारा तैयार की गई ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्शन कारबाइन यानि जेवीपीसी कारबाइन थलसेना के सभी कड़े मानकों पर खरी उतरी है. कानपुर में बनकर तैयार हुई ये देशी कारबाइन एक मिनट में 700 राउंड फायर करती है और काउंटर-टेरेरिज्म के लिए खास तौर से तैयार की गई है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इसी महीने की 7 तारीख को जेवीपीसी कारबाइन ने अपने फाइनल यूज़र-ट्रायल पूरे कर लिए हैं. इसके लिए बेहद गर्मी और सर्दी के मौसम में स्वेदशी कारबाइन के परीक्षण किए गए. रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि जेवीपीसी ने सफलता पूर्वक सभी जीएसक्यूआर यानि जनरल स्टाफ क्वालिटी रिकुआयरेमेंट (थलसेना द्वारा तैयार किए मानदंडों) पर खरी उतरी है.
साथ ही डीजीक्यूए यानि डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस के गुणवत्ता परीक्षण में जेवीपीसी कारबाइन बेहद ही विश्वसनीय साबित हुई है और सटीकता के ट्रायल में सभी मानदंडों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. ऐसे में जेवीपीसी सर्विसेंज़ (सशस्त्र सेनाओं) में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
आपको बता दें कि डीआरडीओ की पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट (एआरडीई) ने जेवीपीसी कारबाइन का डिजायन तैयार किया है, जो सेना के जीएसक्यूआर पर आधारित है. कानपुर में ओएफबी (ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड) की स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री में इसे तैयार किया जा रहा है और बुलेट्स का निर्माण पुणे के निकट किरकी में एम्युनेशन फैक्ट्री में किया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक, जेवीपीसी (5.56X30एमएम) एक गैस-ओपरेटेड बुलपंप ऑटोमैटिक वैपन है जो एक मिनट में करीब 700 राउंड फायर कर सकती है जिसकी रेंज करीब 100 मीटर है और इसका वजन तीन किलो है. डीआरडीओ के मुताबिक, जेवीपीसी कारबाइन की हाई रिलाएबिलेटी, लो-रिकोइल, रिट्रेएक्टेबिल बट, इर्गोनेमिक डिजायन, सिंगल-हैंड फायरिंग और मल्टीपल पिकेटनी रेल्स इत्यादि जैसी खूबियां इसे काउंटर-इनर्सजेंसी और काउंटर टेरेरिज्म ऑपरेशन्स के लिए एक घातक हथियार बनाती हैं.
कुछ साल पहले जेवीपीसी बनकर तैयार हो गई थी, लेकिन थलसेना ने इसमें कुछ कमियां बताई थीं जिसके चलते इसको सेना की जरूरतों के हिसाब से मोडिफाइड किया गया है. हालांकि ग़ृह मंत्रालय के मानकों पर जेवीपीसी कारबाइन खरी उतरी है और केंद्रीय पुलिसबलों के अलावा कई राज्यों की पुलिस भी इसे इस्तेमाल कर रही हैं.
जेवीपीसी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस साल के शुरूआत में लखनऊ में हुए डिफेंस-एक्सपो में लॉन्च किया था. आपको बता दें कि भारतीय सेना को क्लोजड क्वार्टर बैटल के लिए करीब 93 हजार कारबाइन्स की जरूरत है. कुछ साल पहले रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू की थी, जिसमें यूएई की काराकल कंपनी ने हिस्सा लिया था. लेकिन बाद में इस टेंडर को रद्द कर दिया गया था. जेवीपीसी कारबाइन के ट्रायल ऐसे समय में पूरे हुए हैं जब थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणें यूएई के दो दिवसीय (9-10 दिसम्बर) पर हैं.
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