नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए कायराना आतंकी हमले में देश ने अपने 40 जवान खो दिए. भारत मां के वीर सपूतों की शहादत पर पूरे देश की आंखें नम है. नम आंखों के साथ उन शौर्यवीरों की शहादत को सलामी देते हुए लोगों में गुस्सा भी है. यह गुस्सा आंतकवाद और उसको पनाह देने वाले मुल्क के खिलाफ है. हर कोई आंतकियों को मुंहतोड़ जवाब देने की बात कह रहा है. केंद्र सरकार ने भी आंतकियों के खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा आश्वासन देते हुए कहा है कि शहीदों के खून के एक-एक बूंद का बदला लिया जाएगा.


40 जवानों की मौत से न सिर्फ उनका परिवार बल्कि देश का हर नागरिक गमज़दा है. जहां घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल है तो वहीं कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर कंठ करुणा भाव से भरा हुआ है. ऐसे वक्त में उन शहीदों और उनके परिवारवालों के साथ पूरे देश के मनोबल को उठाने की सख्त जरूरत है. आज हिन्दी साहित्य की सबसे बड़ी कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की पुण्यतिथि है. उन्होंने कई राष्ट्रप्रेम की कविताएं लिखी. आज उनके कविताओं में जो राष्ट्रप्रेम और वीर रस है उसकी याद अचानक आ जाती है.


जम्मू-कश्मीर, जिसे धरती पर स्वर्ग कहा जाता है. उसी स्वर्ग का एक हिस्सा गुरूवार को जांबाज सैनिकों के खून से लथपथ हो गया. तभी अचानक सुभद्रा कुमारी चौहान की वो पंक्तियां याद आ गई जो कभी उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के बाद लिखी थी.


परिमलहीन पराग दाग़-सा बना पड़ा है
हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है
आओ प्रिय ऋतुराज! किंतु धीरे से आना
यह है शौक-स्थान यहां मत शोर मचाना


सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य साधना के पीछे देश प्रेम और अपूर्व साहस है. इनकी कविता में सच्ची वीरांगना का ओज और शौर्य प्रकट हुआ है. हिंदी काव्य जगत में ये अकेली ऐसी कवयित्री हैं जिन्होंने अपने कंठ की पुकार से लाखों भारतीय युवक-युवतियों को युग-युग की अकर्मण्य उपासी को त्याग, स्वतंत्रता संग्राम में अपने को समर्पित कर देने के लिए प्रेरित किया.


कहने को तो बसंत का महीना चल रहा है. जहां लोग प्यार के रंग में डूबे रहते हैं. लेकिन वीरों के लिए कैसा बसंत ? कल भी जब देश प्यार का त्योहार मना रहा था तब वतन को महबूब मानने वाले बेटों ने अपने प्यार का फर्ज ऐसे निभाया कि अब तिरंगे में लिपटे हुए ही अपने परिवार के पास वापस आएंगे. देश की सेना के लिए यह वसंत ऋतु कैसी हो इसको लेकर सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा है


आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गरजता बार बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार
सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त
वीरों का कैसा हो वसंत


फूली सरसों ने दिया रंग
मधु लेकर आ पहुंचा अनंग
वधु वसुधा पुलकित अंग अंग
है वीर देश में किन्तु कंत
वीरों का कैसा हो वसंत


कौन है सुभद्रा कुमारी चौहान


सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को इलाहाबाद के निहालपुर गांव में हुआ था. देशभक्ति की निर्भीक अभिव्यक्ति से साहित्य में खास जगह बनाने वाली सुभद्रा राजनीति में भी सक्रिय रहीं. वो कांग्रेस की कार्यकर्ता थीं और स्वाधीनता संग्राम में कई बार जेल गईं. उनका विवाह मध्य प्रदेश के खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ हुआ. पति के साथ वो महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गईं. उनकी रचनाओं में देशभक्ति की धार बखूबी नजर आती है.