Subhas Chandra Bose Birth Anniversary: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के अवसर पर पोर्ट ब्लेयर (Port Blair) में गृह मंत्रालय द्वारा 'आइकोनिक इवेंट्स वीक' आयोजित किया गया. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए कांग्रेस पर उनको भुला देने के आरोप लगाए. शाह ने कहा कि नेताजी के लिए देश का सम्मान, देश की जनता के प्रति ईमान और स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं था.
गृह मंत्री अमित शाह ने पोर्ट ब्लेयर में सोमवार (23 जनवरी) को अपने संबोधन में कहा कि आजादी के बाद नेताजी को भुलाने का और उनकी भूमिका को छोटा करने का बहुत प्रयास किया गया, लेकिन कहते हैं न कि जो वीर और सच्चे होते हैं वो इतिहास में स्थान प्राप्त करने के लिए किसी के मोहताज नहीं होते. इतिहास उनको गोद में बैठाकर अपने बच्चे की तरह बड़ा करता है.
अमित शाह ने अंडमान में बोस पर दिया संबोधन
'आइकोनिक इवेंट्स वीक' के संबोधन में शाह ने कहा, ''यह ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि हम उन सभी की वीरता का जश्न मना रहे हैं जिन्होंने आजादी से पहले और बाद में भी मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान दिया है. एक ओर हम सुभाष द्वीप को नेताजी की स्मृति में परिवर्तित कर रहे हैं और दूसरी ओर 21 द्वीपों का नाम उन लोगों के नाम पर रखा जा रहा है, जिन्होंने 1947 से इस भूमि की रक्षा के लिए बलिदान दिया है.''
अमित शाह बोले, ''जब भी हम नेताजी का नाम सुनते हैं, रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इतना साहस, पराक्रम और देशभक्ति शायद ही किसी में होती है. नेताजी के लिए देश का सम्मान, देश की जनता के प्रति ईमान और खुद के स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं था.''
'PM मोदी ने युवाओं को हमारे वीरों के जीवन से जोड़ा'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 21 द्वीपों का 'परमवीरों' के नाम पर नामकरण किए जाने के फैसले की सराहना की. अमित शाह ने कहा कि इन 21 द्वीपों का नामकरण 'परमवीरों' के नाम पर करके पीएम मोदी जी ने न केवल रक्षा बलों का सम्मान किया, बल्कि इस देश के युवाओं को हमारे वीरों के जीवन से जोड़ा है और देशभक्ति के बीज बोए हैं. नेताजी ने कई टोपियां पहनी थीं.
'नेताजी ने कांग्रेस छोड़कर खुद का रास्ता पकड़ा'
शाह ने कहा, ''देश, नेताजी के उपकारों और ऋण को कभी चुका नहीं सकता. नेताजी ने गांधी जी के साथ कार्यपद्धति के मतभेद के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी और खुद का रास्ता अख्तियार किया था. उन्होंने फॉरवर्ड ब्लाक की स्थापना की और फिर आईएनएस की स्थापना कर देश को आजाद करने का प्रयास किया. मैं कहूंगा कि नेताजी के लिए देश का सम्मान, देश की जनता के प्रति ईमान और खुद के स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं था.''
शाह ने कहा, ''पूरा देश आज नेताजी को अपना अभिमान मानता है और उनके साहस को सलाम करता है. मोदी जी ने नेताजी के इतिहास को सम्मान देने के लिए उसको संजोने के लिए कर्तव्य पथ पर भव्य प्रतिमा स्थापित की.''
'नेताजी एक ध्रुव तारे की तरह, हमेशा चमकते रहेंगे'
शाह ने कहा, ''नेताजी एक ध्रुव तारे की तरह हैं. उनको भुलाने के अनेक प्रयास किए गए. मगर मोदी जी ने नेताजी की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मानना हो, कर्तव्य पथ पर उनकी प्रतिमा लगाना हो, सुभाष द्वीप पर उनका भव्य स्मारक बनाना हो, जैसे कई कदम उठाकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया.''
'अंडमान निकोबार का इतिहास कौन नहीं जानता'
अंडमान का जिक्र कर शाह ने कहा कि अंडमान निकोबार का इतिहास कौन नहीं जानता? इसी पावन भूमि पर स्वतंत्रता आंदोलन का तीर्थस्थान रही सेल्युलर जेल है. इसी जेल में वीर सावरकर ने अपार यातनाओं को सहते हुए कभी न झुकने वाला जज्बा दिखाया था. 1857 से लेकर 1947 तक अनेक कैदियों ने यहां रहकर आजादी के आंदोलन की तपस्या की थी.
'यहां जब भी मैं पैर रखता हूं रोमांचित हो जाता हूं'
शाह ने कहा, ''मैं जब भी द्वीप समूह की भूमि पर पैर रखता हूं रोमांचित हो जाता हूं. इसी भूमि को नेताजी ने सबसे पहले आजाद कर यहाँ तिरंगा फहराया था. आज यहीं नेताजी की स्मृति में एक भव्य स्मारक बन रहा है.''
यह भी पढ़ें: 'भारत को एक महान बनाने का नेताजी का सपना अभी पूरा नहीं हुआ, हम करेंगे...', सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर मोहन भागवत