नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में जारी आंतरिक कलह से सरकार ने खुद को अलग कर लिया है. सरकार का कहना है कि सीबीआई की जांच सरकार नहीं कर सकती, इसकी जांच सीवीसी करेगी. इस बीच बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आलोक वर्मा अपनी तरफ से क्लीन चिट दे दी है. स्वामी ने सीबीआई डायरेक्टर को ईमानदार बताया है.


आलोक वर्मा पर क्या बोले सुब्रमणय स्वामी?
स्वामी ने कहा, ''मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि मिस्टर वर्मा निष्कपट हैं और मिस्टर एके शर्मा भी निष्कपट हैं. उन्हें हटाने के पीछे क्या वजह है, ये मुझे नहीं पता. अस्थाना के बारे में मुझे पता है, उन्होंने ही पहले सीवीसी में अपने डायरेक्टर को लेकर शिकायत की थी. आज ये कहना कि डायरेक्टर ने पब्लिक में रिलीज कर दिया, इस तरह के आरोप लगाना मैं नहीं मानता कि सही है.''


वित्त मंत्री जेटली ने सीबीआई विवाद पर क्या कहा?
सरकार ने इस पूरे विवाद से खुद को अलग कर लिया है. सरकार का कहना है कि चूंकि ये देश की सबसे बड़ी एजेंसे के भरोसे का सवाल है, इसलिए सरकार इसकी जांच नहीं करेगी. इसकी जांच सीबीआई एक्ट के मुताबिक सीवीसी करेगी.


वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ''केंद्रीय जांच एंजेसी इस देश की प्रीमियर जांच एजेंसी है. इसलिए उसकी संवैधानिक अखंडता बनी रहनी चाहिए. सीबीआई की ऐतिहासिक छवि है कि जब देश में कोई बड़ा मामला आता है तो कहते हैं कि इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए. आज विचित्र और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. सीबीआई के दो बड़े आधिकारी डायरेक्टर और स्पेशल डायरेक्टर एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. सरकार इस मामले की जांच नहीं कर सकती. सीबीआई एक्ट के मुताबिक सीवीसी इस मामले की जांच कर सकता है. ये उन कानूनों के संबंध में हैं, वो मामले जो भ्रष्टाचार से जुड़े हैं.''


CBI की अंदरूनी कलह का पूरा मामला है क्या?
सीबीआई के वर्तमान स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार लोगों के खिलाफ खुद सीबीआई ने रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया. सीबीआई ने इस मामले मे अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार पर छापा मार कर आठ मोबाइल फोन बरामद किए. डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया, फिलहाल वो रिमांड पर है.

सीबीआई ने इस मामले में जो एफआईआर दर्ज की है उसमें स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना जो सीबीआई के नंबर दो अधिकारी हैं. इन पर मशहूर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले में सतीश साना नाम के एक शख्स से दो करोड रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है. सीबीआई ने अपनी एफआईआर में यह भी कहा कि इस रिश्वत कांड के तार दिल्ली से लेकर दुबई तक जुड़े हुए है.

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई के विशेष निदेशक ने भी इस एफआईआऱ पर पलटवार किया और कहा कि उनके खिलाफ ये मुकदमा सोची समझी साजिश के तहत दर्ज किया गया है क्योंकि वो खुद निदेशक आलोक वर्मा के भ्रष्टाचार के आरोपों की फेहरिस्त प्रधानमंत्री कार्यालय औऱ केन्द्रीय सर्तकता आय़ुक्त को अगस्त माह में ही दे चुके है. यह भी आरोप लगाया गया कि दो करोड रुपये की रिश्वत उन्होने नहीं सीबीआई निदेशक ने ली है.