Pandharpur Temple Act: 'हिंदू धर्म को महाराष्ट्र सरकार से बचाने की है जरूरत', सुब्रह्मण्यम स्वामी ने क्यों कही ये बात?
Pandharpur Temple Act: महाराष्ट्र सरकार की ओर से विठ्ठल और रुक्मिणी मंदिरों का प्रशासन अपने कब्जे में लेने के खिलाफ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी.
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Bombay High Court: पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोमवार (17 जून) को महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पंढरपुर मंदिर अधिनियम को लेकर बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी के गठबंधन वाली महाराष्ट्र सरकार पर सवाल खड़े किए. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि हमें हिंदू धर्म को महाराष्ट्र सरकार से बचाने की जरूरत है.
बीजेपी नेता ने पंढरपुर मंदिर अधिनियम को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए हलफनामे का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि पंढरपुर मंदिर अधिनियम भक्तों के अधिकारों को नुकसान नहीं पहुंचाता है, बल्कि उन्हें 'पुजारी वर्ग की क्रूरता' से बचाने के लिए है.
स्वामी ने ही दाखिल की है जनहित याचिका
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपने बयान के साथ लाइव लॉ का एक लेख भी शेयर किया है. इस आर्टिकल में बॉम्बे हाई कोर्ट में पंढरपुर मंदिर अधिनियम की हालिया सुनवाई का जिक्र है. उन्होंने एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा कि हमें हिंदू धर्म को महाराष्ट्र सरकार की असभ्य लोलुपता से बचाना है.
बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि पंढरपुर में विठ्ठल और रुक्मिणी मंदिरों पर महाराष्ट्र सरकार को नियंत्रण देने वाला पंढरपुर मंदिर अधिनियम 1973 अपने धर्मनिरपेक्ष भक्तों और तीर्थयात्रियों को 'पुजारी वर्गों की क्रूरता' से राहत देने के लिए बनाया गया था. इसे लेकर ही अब सियासी बवाल मचा हुआ है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से विठ्ठल और रुक्मिणी मंदिरों का प्रशासन अपने कब्जे में लेने के खिलाफ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने ये बात हाई कोर्ट में कही.
क्या है पंढरपुर मंदिर एक्ट?
पंढरपुर मंदिर अधिनियम 1973 के तहत महाराष्ट्र सरकार ने पंढरपुर में भगवान विट्ठल और रुक्मिणी के मंदिरों के शासन-प्रशासन के लिए पुजारियों के वंशानुगत अधिकारों और विशेषाधिकारों को खत्म कर दिया था. इस एक्ट से अब मंदिरों के प्रशासन और धन प्रबंधन पर सरकार का नियंत्रण है.
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