Sudan Violence: सूडान में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और हिफाज़त सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार विभिन्न देशों के साथ करीबी संपर्क बनाए हुए है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इसमें  अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और यूएई जैसे चार देशों की एक महत्वपूर्ण भूमिका है. भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के विदेशमंत्रियों से फोन पर बात की है.


भारत को मिला भरोसा


सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात दोनों ही नेताओं ने भारत को जमीनी स्तर पर जरूरी समर्थन का भरोसा दिया है. अमेरिका में भारत के राजदूत और लंदन में भारतीय उच्चायुक्त भी इन देशों के संबंधित अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं. इसके साथ ही सूडान में पर्याप्त मौजूदगी रखने वाले संयुक्त राष्ट्र के साथ भी भारत लगातार संपर्क बनाए हुए है.


सूडान में फंसे भारतीयों की मदद के लिए खार्तूम स्थित दूतावास लगातार सक्रिय है. साथ ही नई दिल्ली में भी एक समर्पित नियंत्रण कक्ष बनाया गया है. मौजूदा आकलन के मुताबिक सड़क पर स्थिति बहुत तनावपूर्ण है. वहां इस अवस्था में आवाजाही बहुत जोखिम भरी है. ऐसे में भारत सरकार की प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है. विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं.


सूडान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव


दरअसल सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल के बीच तनाव के चलने वहां गृहयुद्ध के जैसे हालात पैदा हो गए हैं. साल 2021 में सूडान सरकार का तख्तापलट में सत्ता पर काबिज होने वाले दो जनरलों की सेना के बीच शनिवार (15 अप्रैल) से सत्ता संघर्ष छिड़ हुआ. एक तरफ सेना प्रमुख अब्देल-फतह अल-बुरहान हैं तो दूसरी तरफ  उनके डिप्टी, मोहम्मद हमदान डागलो हैं. अर्धसैनिक बल वहां उसे सेना का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं. 


वो अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) की कमान संभालते हैं. दोनों के बीच की दुश्मनी को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अपीलें और दबाव भी तेज होते जा रहे हैं.  इस संघर्ष की वजह से वहां अराजकता, मौत और नुकसान वाले हालात हैं. इससे वहां कई देशों के नागरिकों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है. 


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