नई दिल्ली: अपने यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम के लिए सुप्रीम कोर्ट में सवालों का सामना कर रहे सुदर्शन टीवी ने दूसरे चैनलों में हिंदू आतंकवाद पर बने कार्यक्रमों का हवाला दिया है. शुक्रवार को कोर्ट ने यूपीएससी जिहाद के बचे हुए एपिसोड के प्रसारण की अनुमति के संकेत दिए थे. लेकिन उससे पहले सुदर्शन टीवी से यह जानना चाहा था कि क्या वह कार्यक्रम की प्रस्तुति में कुछ बदलाव करेगा. कोर्ट ने कार्यक्रम में नमाज़ी टोपी में मुस्लिम व्यक्ति का ग्राफिक्स दिखाए जाने को गलत बताया था.


सिविल सर्विस में पहले की तुलना में ज्यादा मुसलमानों के आने को एक साजिश का हिस्सा बताने वाले इस कार्यक्रम का प्रसारण 4 एपिसोड के बाद रोक दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कुछ याचिकाओं की सुनवाई करते हुए किया था. इन याचिकाओं में यह बताया गया था कि कार्यक्रम में पूरे मुस्लिम समुदाय को साजिशकर्ता के तौर पर दिखाया जा रहा है. उनके बारे में विद्वेषपूर्ण टिप्पणियां की जा रही हैं.


पिछली सुनवाई में सुदर्शन टीवी ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और के एम जोसफ की बेंच के सामने इस बात से इनकार किया था कि वह पूरे मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रहा है. चैनल के वकील श्याम दीवान ने कहा था, “जकात फाउंडेशन नाम की संस्था मुस्लिम छात्रों को यूपीएससी की परीक्षा पास करने के लिए मदद पहुंचा रही है. इस संस्था को मदीना ट्रस्ट, मुस्लिम एड, इस्लामिक फाउंडेशन जैसे विदेशी संगठनों से आर्थिक मदद मिली है. यह सभी संगठन भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. हमने खोजी पत्रकारिता के जरिए यह तथ्य निकाले और उन्हें लोगों के सामने पेश किया."


श्याम दीवान की करीब 2 घंटे की जिरह के बाद जजों ने कहा था, “आपके कार्यक्रम के अब तक के 4 एपिसोड में जिस तरह की भाषा और प्रस्तुति रखी गई है, उसमें कई बातें आपत्तिजनक हैं." जजों ने खासतौर पर इस बात पर आपत्ति जताई कि कार्यक्रम में बार-बार जालीदार नमाजी टोपी और हरी टीशर्ट पहने दाढ़ी वाले व्यक्ति का कार्टून इस्तेमाल किया जा रहा है. उसके पीछे आग की लपटें दिखाई जा रही हैं. उसी तरह AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया. उनकी तस्वीरों को भी आग की लपटों में दिखाया गया.


मामले में सोमवार को होने वाली सुनवाई से पहले चैनल ने इसका जवाब दिया है. सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल कर चैनल ने कहा है कि वह प्रोग्राम कोड और सूचना-प्रसारण मंत्रालय के निर्देशों का पालन करेगा. इसलिए, कोर्ट कार्यक्रम के प्रसारण पर लगी रोक हटा ले. हालांकि, चैनल ने हिंदुओं से जुड़े मामलों में इसी तरह के प्रतीकों के इस्तेमाल की तरफ कोर्ट का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश भी की है.


चैनल ने अपने हलफनामे में NDTV के कुछ कार्यक्रमों का हवाला दिया है. कहा है कि कथित हिन्दू आतंकवाद पर कार्यक्रम में उस चैनल ने चिलम पीते तिलकधारी साधु का ग्राफिक्स लगाया. शिव जी के पवित्र प्रतीक त्रिशूल को दिखाया, एक धार्मिक कार्यक्रम में भगवा कपड़ों में शामिल हुई भीड़ को दिखाया.