नई दिल्ली: महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा और प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश के मामले में पुलिस ने मंगलवार को देश के चार राज्यों के अलग अलग शहरों में छापेमारी कर 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए सभी लोग वामपंथी विचारधारा के समर्थक माने जाते हैं. लेफ्ट पार्टियां ये आरोप लगा रही हैं कि केंद्र सरकार जानबूझ कर उन्हें निशाना बना रही है, जबकि पुलिस का दावा है कि गिरफ्तार किए गए लोग माओवादियों और नक्सलियों से जुड़े हुए हैं.


कौन कौन कहां से हुआ गिरफ्तार?
सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव हैदराबाद से, मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा दिल्ली से, सुधा भारद्वाज फरीदाबाद से, स्टेन स्वामी रांची से, अरुण फरेरा ठाणे से, वरनॉन गोंजाल्विस मुंबई से और आनंद तेलतुंबडे गोवा से गिरफ्तार किए गए.
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सुधा भारद्वार की गिरफ्तारी का विरोध, हाईकोर्ट से मिला स्टे
छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता और सिविल राइट्स एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज की गिरफ्तारी और रिमांड को लेकर देर रात तक हंगामा चला. हाई कोर्ट के आदेश पर महाराष्ट्र पुलिस सुधा भारद्वाज को पुणे नहीं ले जा पाई. कोर्ट ने आदेश दिया कि 30 अगस्त यानी कल उन्हें तक फरीदाबाद में ही रखा जाए. पुणे पुलिस ने फरीदाबाद की लोअर कोर्ट से सुधा भारद्वाज की रिमांड ले ली थी और पुणे ले जाने की तैयारी कर रही थी. इसी दौरान सुधा भारद्वाज के वकील हाईकोर्ट पहुंचे जहां से उन्हें राहत मिली. इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्रकार गौतम नौलखा को दिल्ली में ही रखने का आदेश दिया.


मेरा लैपटॉप और सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड लिए: सुधा भारद्वाज
सुधा भारद्वाज के फरीदबाद स्थित घर पर महाराष्ट्र पुलिस की टीम ने अचानक धावा बोला था. सुधा भारद्वाज को हिरासत में लेकर पुलिस ने उन पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. सुधा भारद्वाज ने इस बात से इंकार किया है कि उनका भीमा कोरेगांव की घटना से कोई रिश्ता है. सुधा भारद्वाज ने मीडिया को बताया, ''पुलिस ने लैपटॉप मोबाइल पेन ड्राइव सब जप्त कर लिया है, इसके साथ ही सोशल नेटवर्किंग साइट्स के पासवर्ड भी ले लिए हैं. मैं नहीं जानती पुलिस इन सब जानकारियों के साथ क्या करेगी.''


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किस आधार पर पुलिस ने की गिरफ्तारी?
दरअसल पुलिस का दावा है कि भीमा कोरेगांव हिंसा के एक दिन पहले 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद का कार्यक्रम हुआ था. इस कार्यक्रम में जो भाषण दिए गए उनके कारण ही हिंसा भड़की थी. इसीलिए उन तमाम लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर उस कार्यक्रम में शामिल लोगों से जुड़े हैं. पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार किए गए लोगों के पास से महत्वपूर्ण दस्तावेज, किताबें और कुछ साहित्य बरामद किया गया है.


कौन हैं सुधा भारद्वाज ?
सुधा भारद्वाज 30 साल से ट्रेड यूनियन नेता हैं, वे छत्तीसगढ़ में मजदूरों के बीच काम करती हैं. सुधा 1978 की आईआईटी कानपुर की टॉपर है. जन्म से अमेरिकी नागरिक थीं लेकिन उन्होंने नागरिकता वापस कर दी. सुधा की प्राइमरी शिक्षा इंगलैंड में हुई, सुधा की मां कृष्णा भारद्वाज जेएनयू में इकॉनामिक्स डिपार्टमेंट की डीन हुआ करती थीं.


यूनियन लीडर शंकर गुहा नियोगी के प्रभाव में वामपंथ से जुड़ीं, साल 2000 में वकील बनीं, 2007 से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में वकालत कर रही हैं. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर पढ़ा चुकी हैं. जुलाई में देश में कश्मीर जैसे हालात बनाने की चिट्ठी लिखने का आरोप लगा. इसके साथ ही माओवादियों से पैसे लेने का आरोप भी लगा.


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पीएम की हत्या की चिट्ठी मामले में भी हुई गिरफ्तारी
महाराष्ट्र पुलिस की एक टीम सुबह करीब 5 बजे हैदराबाद में कवि और एक्टिविस्ट वरवरा राव के घर पहुंच गयी. कवि वरवर राव के घर छापेमारी इसलिए की गयी क्योंकि इसी साल जून में एक आरोपी रोना विल्सन के घर से मिली एक चिट्ठी में उनका नाम था. उस चिट्ठी में राजीव गांधी की हत्या जैसी प्लानिंग का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की बात लिखी थी. इसके बाद पुलिस ने जांच में तेजी लाते हुए 5 लोगों को गिरफ्तार किया, उनसे पूछताछ के आधार पर करीब 250 ईमेल की छानबीन हुई.


चिट्ठी में क्या लिखा है?
पत्र में लिखा है, ‘’मोदी 15 राज्यों में बीजेरी को स्थापित करने में सफल हुए हैं. यदि ऐसा ही रहा तो सभी मोर्चों पर पार्टी के लिए दिक्कत खड़ी हो जाएगी. कॉमरेड किसन और कुछ अन्य सीनियर कॉमरेड्स ने मोदी राज को खत्म करने के लिए कुछ मजबूत कदम सुझाए हैं. हम सभी राजीव गांधी जैसे हत्याकांड पर विचार कर रहे हैं. यह आत्मघाती जैसा मालूम होता है और इसकी भी अधिक संभावनाएं हैं कि हम असफल हो जाएं, लेकिन हमें लगता है कि पार्टी हमारे प्रस्ताव पर विचार करे, उन्हें रोड शो में टारगेट करना एक असरदार रणनीति हो सकती है. हमें लगता है कि पार्टी का अस्तित्व किसी भी त्याग से ऊपर है.’’

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डराने के लिए कार्रवाई कर रही है सरकार: लेफ्ट
लेफ्ट समेत तमाम एक्टिविस्ट आरोप लगा रहे हैं कि भीमा कोरेगांव के नाम पर सरकार अपने खिलाफ बोलने वालों को डराने के लिए ये कार्रवाई कर रही है. लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि पूरे विपक्ष को निशाना बनाया जा रहा है, जो भी मोदी सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.


जो शिकायत करें उन्हें गोली मार दो
राहुल गांधी ने भीमा कोरेगाव केस में गिरफ्तारियों को लेकर आरएसएस पर साधा निशाना है. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ''भारत में सिर्फ़ एक एनजीओ के लिए जगह है और इसका नाम आरएसएस है. बाकी सभी एनजीओ बंद कर दो. सभी ऐक्टिविस्टों को जेल में भेज दो और जो लोग शिक़ायत करें उन्हें गोली मार दो. न्यू इंडिया में आपका स्वागत है.’’


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क्या है भीमा कोरेगांव हिंसा?
बता दें कि इसी साल जनवरी में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी थी. पूरा झगड़ा 29 दिसंबर से शुरू हुआ था. 29 दिसंबर को पुणे के वडू गांव में दलित जाति के गोविंद महाराज की समाधि पर हमला हुआ था, जिसका आरोप मिलिंद एकबोटे के संगठन हिंदू एकता मोर्चा पर लगा और एफआईआर दर्ज हुई. एक जनवरी को दलित समाज के लोग पुणे के भीमा कोरेगांव में शौर्य दिवस मनाने इकट्ठा हुए और इसी दौरान सवर्णों और दलितों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक शख्स की जान चली गई और फिर हिंसा बढ़ती गई.