मुंबई में बच्चे की खुदकुशी- क्या फिर है ब्लू व्हेल की आहट?
BLUE WHALE CHALLENGE नाम की वो समस्या है जिसके बारे में बताया जाता है कि ये बीते चंद सालों में सैकड़ों बच्चों की जान दुनियाभर में ले चुकी है.
मुंबई: 11 जुलाई को मुम्बई के वडाला इलाके की एक रिहायशी इमारत के गेट पर एक स्कूल की बस आकर रुकी. बच्चे बस से उतर रहे थे कि ज़ोर की आवाज़ आई. गेट के पास खून से लथपथ एक लड़का नज़र आया, लडके का सिर फट चुका था और मौत हो चुकी थी. लड़का 18 मंज़िली इमारत की छत से नीचे गिरा था. स्कूल बस से उतरे बच्चे इस दृश्य को देखकर चीख उठे और वहां से भागने लगे. वडाला टी.टी पुलिस ने मौके पर पहुंच कर अपनी तहकीकात शुरू की. मृत बच्चा 13 साल का था. वो उसी इमारत की सोलहवीं मंज़िल पर अपने मां-बाप के साथ रहता था. सीसीटीवी देख कर पता चला कि ये खुदकुशी का मामला है. लड़का छत पर अकेले ही गया था, पुलिस को छत पर बनी पानी की टंकी से उसकी चप्पल मिली. सवाल ये है कि उस लडके ने खुदकुशी क्यों की? सांताक्रुज के एक स्कूल की 8वीं क्लास का वो छात्र पढ़ाई-लिखाई और बाकी गतिविधियों में ठीक था. उसके दोस्तों को भी कभी ऐसा नही लगा कि उसके जीवन में कोई समस्या है. ऐसे में खुदकुशी का कारण अब भी एक रहस्य बना हुआ है. भले ही अबतक उसकी खुदकुशी को लेकर पुलिस किसी नतीजे पर न पहुंची हो, लेकिन वो जिस उम्र का था और जिस तरह से उसने खुदकुशी की वो एक गंभीर समस्या की तरफ इशारा करते नज़र आते हैं. BLUE WHALE CHALLENGE नाम की ये वो समस्या है जिसके बारे में बताया जाता है कि ये बीते चंद सालों में सैकड़ों बच्चों की जान दुनियाभर में ले चुकी है. BLUE WHALE CHALLENGE एक इंटरनेट आधारित गेम है जो सबसे पहले 2016 में चर्चा में आया. इस गेम से जुड़ने वाले बच्चों को 50 दिनों तक गेम के एडमिनिस्ट्रेटर के निर्देश को मानना होता है. शुरुआती दिनों में एडमिनिस्ट्रेटर बच्चे को खुद को नुकसान पहुंचाने का निर्देश देता है और आखिर में आत्महत्या करने का. ज्यादातर मामलों में छत से कूदकर आत्महत्या का निर्देश दिया जाता है. बच्चे को हर निर्देश का पालन करने का सबूत तस्वीर के ज़रिए एडमिनिस्ट्रेटर तक भेजनी होती है. एक बार गेम से जुड़ने के बाद उससे बाहर निकलने का विकल्प नहीं होता. एडमिनिस्ट्रेटर की ओर से बच्चे को इस तरह डराया जाता है कि अगर उसने गेम छोड़ने की कोशिश की तो उसके घरवालों को नुकसान पहुंचाया जायेगा. एक तरह से बच्चे के दिलोदिमाग पर कब्जा कर लिया जाता है. इस गेम को लेकर दुनिया के कई देशों में कथित गिरफ्तारियां भी हो चुकीं हैं. इनके एडमिनिस्ट्रेटर भी कम उम्र के लड़के और युवक ही पाये गये हैं. कई अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का ये भी मानना है कि ब्लू व्हेल सिर्फ मीडिया की ओर से अलग अलग घटनाओं को एक साथ जोड़कर बनाया गया एक सनसनीखेज शिगूफा है. इस बीच ब्लू व्हेल की तरह कई ओर भी गेम इंटरनेट पर आ गये जिनमें बच्चे खुद को नुकसान पहुंचाते हैं या खतरनाक हरकतें करते हैं. भारत में भी ब्लू व्हेल गेम की वजह से बच्चों की मौत के मामले सामने आ चुके हैं. जुलाई 2017 में मुंबई के अंधेरी इलाके में रहने वाले एक लड़के ने खुदकुशी कर ली. उसके बाद केरल और पश्चिम बंगाल से भी इस गेम की वजह से बच्चों की खुदकुशी की खबरें आईं. मरने वाले सभी बच्चों की उम्र 12 से 18 साल के बीच थी. देशभर से कुछ ऐसी भी खबरें आईं जिनमे गेम की वजह से आत्महत्या करने जा रहे बच्चों को ऐन वक्त पर बचा लिया गया. भारत सरकार ने इन मामलों का संज्ञान लिया और 2017 में तमाम सोशल नेटवर्किंग साईट्स को कहा कि वे ऐसे लिंक को ब्लॉक करें जो BLUE WHALE जैसे खतरनाक गेम्स तक पहुंचाते हों. बीते डेढ़ साल से ब्लू व्हेल से जुड़ी आत्महत्या की कोई खबर नहीं आई. वडाला वाले मामले में पुलिस अब मृत बच्चे के मां-बाप, उसके दोस्तों, शिक्षकों और स्कूल के सहपाठियों से बात करके पता करेगी कि आखिर उसकी खुदकुशी के पीछे का असली कारण क्या था. पुलिस बच्चे के मोबाईल फोन की भी जांच कर रही है. बहरहाल, जानकारों की राय है कि ब्लू व्हेल जैसे गेम्स से बच्चों को बचाने के लिये उन्हें मोबाईल फोन न दिये जायें और दिये जाते हैं तो इस बात पर मां-बाप नजर रखें कि वो मोबाईल पर क्या कर रहा है. इसके अलावा बच्चे के सामान्य बर्ताव में कोई परिवर्तन आ रहा है, वो अपने शरीर पर खरोंच कर व्हेल मछली की या किसी और तरह की तस्वीर बना रहा है या शारीरिक तौर पर खुद को नुकसान पहुंचा रहा है तो सतर्क हो जाना चाहिये और बच्चे से बात करनी चाहिये.