Mid-Air Collision: सुखोई 30 और मिराज 2000 हवा में कैसे बने आग का गोला? एक ने छुड़ा दी थी पाकिस्तान की कंपकंपी
Aircraft Crash: मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में भारतीय वायुसेना के दो फाइटर जेट हवा में ही आग का गोला बन गए. इस हादसे में एक पायलट की जान भी चली गई. ये दोनों की जेट्स वायुसेना की ताकत हैं.
Sukhoi And Miraj Crash: शनिवार (28 जनवरी) की सुबह एक बुरी खबर आई कि मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में वायुसेना के सुखोई 30 और मिराज 2000 आपस में ही टकरा गए. इस हादसे में एक पायलट शहीद हो गया जबकि दो पायलट सुरक्षित रहे लेकिन गंभीर चोटें इन्हें भी आईं. इन दोनों प्लेन ने ग्वालियर के एयरबेस से उड़ान भरी थी. खबर इसलिए बुरी रही क्योंकि ये कोई साधारण एयरक्राफ्ट नहीं थे. बताया जा रहा है कि दुश्मन की धड़कनें बढ़ा देने वाले दोनों जेट हवा में टकराने के बाद आग का गोला बन गए और टुकड़े-टुकड़े होकर जमीन पर गिरे.
वायुसेना ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं. वायुसेना की तरफ से आए बयान में कहा गया, “कोर्ट ऑफ इंक्वायरी से साफ हो पाएगा कि दुर्घटना कैसे हुई लेकिन ये अब लगभग साफ हो गया है कि मुरैना के आसमान में ही दोनों लड़ाकू विमान आपस में टकराए यानि मिड-एयर कोलिजन का शिकार हुए. हो सकता है कि सुखोई ने मिराज को टक्कर मारी हो और फिर सुखोई के पायलट्स ने अपने विमान को बचाने की कोशिश हो, बचाव नहीं कर पाने की स्थिति में उन्होंने खुद को इजेक्ट कर लिया होगा. जिससे सुखोई भरतपुर तक पहुंच गया. हादसे में मिराज के पायलट की मौत हो गई और सुखोई के दोनों पायलट बच गए.”
एक्सपर्ट बता रहे बड़ा नुकसान
नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक, भारतीय एक्सपर्ट इसे बहुत बड़ा नुकसान बता रहे हैं. पूर्व सैन्य अधिकारी बीएस जयसवाल ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा है कि ये दोनों ही हमारे फ्रंटलाइन एयक्राफ्ट हैं. सुखोई 30 और मिराज 2000 में तकनीकी खराबी आना लगभग नामुमकिन है. हो सकता है कि वो कोई ड्रिल कर रहे हों और किसी के अंदर गड़बड़ी हो गई हो, जिसकी वजह से दोनों आपस में टकरा गए. उन्होंने कहा है कि क्रैश होने की वजह तो ब्लैक बॉक्स से ही पता चलेगी. दोनों का टेक्निकल फेल्योर होना नामुमकिन है. इस तरह की ड्रिल में काफी सेफ्टी रखी जाती है.
मिराज लंबे समय से है वायुसेना का हिस्सा
सुखोई और मिराज भारतीय वायुसेना की ताकत कहे जाते हैं. जब भी किसी बड़े मिशन की तैयारी की गई तो इन दोनों को शामिल किया गया है. मिराज 2000 तो लंबे समय से भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहा है. वायुसेना को मिराज की क्षमता पर काफी भरोसा है. साल 2019 में हुई एयरस्ट्राइक में भी मिराज का ही इस्तेमाल किया गया था. तो वहीं सुखोई उसे कवर करने के लिए तैनात किया गया था. इतना ही नहीं करगिल युद्ध के दौरान भी मिराज की ताकत देख पाकिस्तान की कंपकंपी छूट गई थी.
वायुसेना को कितना नुकसान
मिराज 2000 की अगर बात करें तो ये विमान साल 1985 में भारतीय वायुसेना का हिस्सा बना था. भारतीय वायुसेना के पास 50 मिराज 2000 फाइटर जेट हैं. इसे फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट ने बनाया है. मिराज 2000, रूस में बने सुखोई 30 से भी तेजी से उड़ान भर सकता है. मिराज अधिकतम 59 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है. ये विमान हवा से हवा में और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है. मिराज 2000 फाइटर जेट की कीमत लगभग 167 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
तो वहीं सुखोई की अगर बात करें तो ये चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट है. इसके आधुनिक वर्जन सुखोई 30एमकेआई को रूस की कंपनी सुखोई और भारतीय कंपनी एचएएल ने मिलकर विकसित किया है. दो सीटों वाला यह मल्टी रोल फाइटर जेट दुनिया के सक्षम लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है. यह विमान कुल 38,800 किलोग्राम वजन लेकर उड़ान भर सकता है. सुखोई-30, 300 मीटर प्रति सेंकेंड की रफ्तार से ऊंचाई की तरफ उड़ान भर सकता है. सुखोई एक बार में अधिकतम 3000 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है और बीच हवा में रिफ्यूलिंग के बाद यह विमान 8000 किलोमीटर तक जा सकता है. सुखोई-30एमकेआई के एक विमान की कीमत करीब 62 मिलियन डॉलर (लगभग 554 करोड़ रुपये) है.
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