नई दिल्ली: हिंद महासागर की सुरक्षा के तहत भारतीय वायुसेना की ब्रह्मोस मिसाइल से लैस सुखोई फाइटर जेट की पहली स्कॉवड्रन तमिलनाडु के तंजावुर में बनाई गई है. आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 'टाइगर-शार्क' नाम की इस स्कॉवड्रन में सामरिक महत्व के इन सुखोई लड़ाकू विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल किये.
वायुसेना के एक अधिकारी के मुताबिक तंजावुर स्थित टाइगर-शार्क स्कॉवड्रन को हिंद महासागर की सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जहां दक्षिण भारत में सुखोई विमानों की पहली तैनाती होगी. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस सुखोई विमान से हिंद महासागर की सुरक्षा में खासी मदद मिलेगी. क्योंकि सुखोई विमानों की रेंज करीब 1000 किलोमीटर है और इसमें लगी ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज करीब 300 किलोमीटर है.
बता दें कि जगुआर के बाद ये सुखोई वायुसेना के दूसरे ऐसे फाइटर जेट हैं जिन्हें 'मेरीटाइम-ऑपरेशन्स' के लिए तैयार किया गया है. ये खबर ऐसे समय में आई है जब भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान, एलसीए (नेवी) ने एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य पर सफल टेकऑफ और लैंडिग कर ली है. हालांकि, तमिलनाडु के सुलुर (कोयम्बटूर के करीब) एलसीए तेजस की भी एक स्कॉवड्रन है लेकिन सुखोई से तंजावुर में तैनात होने से भारत की समुद्री-सुरक्षा में इसे पैराडाइम-शिफ्ट कहा जा रहा है.
आपको बता दें कि तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 350 किलोमीटर दूरं तंजावुर, प्राचीन काल में चोल राजाओं की राजधानी थी. चोल राजाओं का एकाधिकार पूरे दक्षिण भारत से लेकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों तक फैला था.
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