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New Himachal CM: कांटों भरी है हिमाचल के नए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की राह, नाराजगी-गुटबाजी सबसे बड़े विलेन

Sukhwinder Singh Sukhu: हिमाचल के सीएम का ताज सुखविंदर सिंह सुक्खू के सिर पर सजने जा रहा है, लेकिन ये ताज कांटों भरा है. गुटबाजी और नाराजगी से कैसे निपटेंगे नए सीएम.

Sukhwinder Singh Sukhu: सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे. हमीरपुर जिले की नादौन विधानसभा सीट से वे विधायक हैं और उनके पास लंबा राजनीतिक अनुभव है. कांग्रेस पार्टी में पार्षद के रूप में उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी और चार बार विधायक चुने गए हैं. एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुक्खू को हिमाचल की जनता पसंद करती है और यही वजह रही है चौथी बार जनता ने उन पर भरोसा जताया है. 

सुखविंदर सिंह सुक्खू के राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र नेता के तौर पर हुई. शिमला के संजौली कॉलेज में वे महासचिव और अध्यक्ष चुने गए. सुखविंदर सिंह साल 1989 से 1995 के बीच वे एनएसयूआई के अध्यक्ष रहे, फिर युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने. साल 1999 से 2008 के बीच युवा कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख रहे. सुक्खू नगर निगम शिमला के दो बार पार्षद चुने गए. साल 2003, 2007, 2017 और 2022 में नादौन से विधायक चुने गए. हिमाचल कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष रहे और अब वे प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे.

वैसे तो वे संगठन के पुराने कार्यकर्ता और वरिष्ठ नेता रहे हैं, लेकिन उन्हें सरकार चलाने का कोई खास अनुभव नहीं है. ऐसे में मुख्यमंत्री के रूप में उनके सामने परेशानियां कम नहीं होंगी.

पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह से खटपट रही

सुखविंदर सिंह सुक्खू राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के करीबी तो माने जाते थे, लेकिन कुछ मुद्दों को लेकर उनकी वीरभद्र सिंह से अदावत रही. वीरभद्र सिंह ही नहीं उनके परिवार के साथ भी सुक्खू का छत्तीस का आंकड़ा रहा है. ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ी समस्या पूर्व सीएम वीरभद्र के समर्थकों और उनके परिवार से तालमेल बैठाना होगा.

वैसे सुक्खू हमीरपुर से आते हैं, जो बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन उनकी वजह से ही यहां कांग्रेस का काफी दबदबा है. यही वजह है कि पार्टी हाईकमान ने सुक्खू पर दांव लगाने का फैसला किया है. दूसरी बात ये है कि सुक्खू पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के करीबी भी माने जाते हैं.

सुक्खू और प्रतिभा सिंह के बीच की खटास

सुक्खू की वीरभद्र से अदावत तो रही लेकिन उनकी वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के बीच प्रतिद्वंद्विता भी नई नहीं है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुक्खू से हिमाचल की कमान लेकर प्रतिभा सिंह को सौंपकर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. इससे सुक्खू और उनके समर्थक नाराज हो गए और यही वजह रही कि कांग्रेस हिमाचल की सारी सीटें हार गई.

प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया और अबकी बार कमान सुक्खू को सौंपी गई है. कहा जा रहा है कि इसकी वजह ये है कि प्रतिभा सिंह के केंद्रीय नेतृत्व से रिश्ते बेहतर नहीं हैं. उन्होंने चुनाव के बीच गांधी परिवार के कम प्रचार करने पर भी सवाल उठाए थे. लेकिन चुनाव में मिली जीत के बाद प्रतिभा सिंह काफी उत्साहित थीं और सीएम पद की प्रमुखता से दावेदारी रखी थी. अब सुक्खू को प्रतिभा सिंह से तालमेल बैठाने की चुनौती है.

गुटबाजी पर कैसे लगाएंगे लगाम

सुक्खू के पास सरकार चलाने का अनुभव नहीं है और गुटों में बंटी पार्टी को साथ लेकर चलना उनके सामने बड़ी चुनौती होगी. हालांकि, माना जा रहा है कि सुक्खू मंत्रिमंडल में प्रतिभा सिंह-वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को महत्वपूर्ण भूमिका मिलेगी. कांग्रेस हिमाचल में भविष्य के नेता के रूप में भी विक्रमादित्य को पेश कर सकती है. इससे गुटबाजी में थोड़ी लगाम लग सकती है. लेकिन बता दें कि गुटबाजी की ही वजह से कांग्रेस 2018 में मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के बावजूद सत्ता बचाने में नाकाम रही थी.

ऐसे में ये सच है कि मुख्यमंत्री बनने जा रहे सुखविंदर सिंह सुक्खू के सिर पर भी कांटों भरा ताज सजने वाला है. अब देखना होगा कि सुक्खू कैसे इन बड़ी चुनौतियों से कैसे निपटते हैं और हिमाचल में सरकार चला सकते हैं.

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