Sulli Delas Case: इन दिनों सुल्ली नाम से एक एप सोशल मीडिया पर चर्चा में हैं. खास तौर पर इसलिए क्योंकि सुल्ली शब्द मुस्लिम महिलाओं की बदनामी के मकसद से इस्तेमाल किया जा रहा है और इस एप पर मुस्लिम महिलाओं की फोटो लगाकर उनके बारे में अपशब्द लिखे जाते हैं या फिर उनकी बदनामी कर उनकी इज्जत को नुकसान पहुंचाया जाता है. इस मामले में अब दिल्ली पुलिस के बाद नोएडा पुलिस ने भी एक एफआईआर दर्ज की है, जिसमें नोएडा में ही रहने वाली एक कमर्शियल (महिला) पायलट ने शिकायत दर्ज कराई है.


एडा सेक्टर 52 में रहने वाली एक महिला ने शिकायत दी थी कि सोशल मीडिया पर सुल्ली एप पर महिलाओं के फोटो डालकर आपत्तिजनक टिप्पणी की जा रही है. उस एप में शिकायतकर्ता के अलावा कई और महिलाओं के फोटो डाले गए हैं. जिसके बाद नोएडा सेक्टर 24 में एक अभियोग पंजीकृत किया गया है, जिसमें आईपीसी और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस टेक्निकल टीम के साथ मामले की जांच कर रही है. जो भी लोग शामिल हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.


एबीपी न्यूज़ ने जब शिकायतकर्ता से बात की और ऑन कैमरा उनसे बात करनी चाही तो उन्होंने कहा कि वह दिल्ली-एनसीआर से बाहर हैं. एक दूसरे शहर में हैं. हालांकि उन्होंने व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल के माध्यम से अपना इंटरव्यू देने में समर्थता जताई. पीड़िता से व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल के माध्यम से जो बातें सामने आई हैं, वह इस प्रकार है.


पीड़िता का कहना है कि वह सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं. खास तौर से ट्विटर पर. वह एक कमर्शियल पायलट हैं और किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ी हैं. न ही किसी प्रकार के राजनीतिक विचार सोशल मीडिया पर जाहिर करती हैं. कुछ समय पहले उन्हें अपनी एक मित्र के माध्यम से जानकारी मिली कि सोशल मीडिया पर सुल्ली एप के नाम से एक एप सक्रिय है, जो मुस्लिम महिलाओं को टारगेट कर रही है. मुस्लिम महिलाओं में भी उन महिलाओं को जो पढ़ी-लिखी और कामकाजी हैं. जब पीड़िता ने उस एप को खोला तो उसमें अलग-अलग लड़कियों की तस्वीर थी. एक तस्वीर उनकी भी थी. यह देखकर उन्हें काफी गुस्सा आया क्योंकि सुल्ली शब्द मुस्लिम महिलाओं के अपमान के लिए इस्तेमाल किया जाता है. कोई किसी महिला के साथ ऐसा कैसे कर सकता है? पीड़िता का कहना है कि उनके संपर्क में ऐसी लगभग 80 से ज्यादा महिलाएं हैं, जिनकी फोटो सुल्ली एप पर डाली गई हैं. ये एप जो शख्स चला रहे हैं, उन्होंने अपनी गलत पहचान जाहिर की हुई है.


यह बनाने वाले कौन हो सकते हैं?


पीड़िता का कहना था कि ऐसी शर्मनाक हरकत करने वाले किसी भी धर्म के नहीं हो सकते, क्योंकि कोई भी धर्म किसी भी महिला का अपमान करना नहीं सिखाता है. ये जो भी लोग हैं, वे कहीं न कहीं संकुचित मानसिकता के हैं. जो पढ़ी-लिखी मुस्लिम महिलाओं को इस समाज में नहीं देखना चाहते हैं या नहीं चाहते कि पढ़ी-लिखी मुस्लिम महिलाएं सोशल मीडिया पर अपने विचार रख सकें.


पीड़िता का कहना है कि जब उन्हें इस एप का पता चला तो उन्होंने पीड़ित महिलाओं से भी संपर्क किया. जिसके बाद इन्हें अपनी मित्र से व कुछ अन्य महिलाओं से पता चला कि लगभग 200 से ज्यादा महिलाओं के फोटो इस एप पर डाले गए थे. पीड़िता ने 6 जुलाई को नोएडा पुलिस ने इस मामले की शिकायत की. जिसके बाद इसमें एफआईआर दर्ज हो गई है.


पीड़िता का कहना है कि लगभग 80 से ज्यादा पीड़ित महिलाएं, जो इनके संपर्क में हैं, इन सभी ने मिलकर एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया है. ताकि कोई भी खुद को अकेला न समझें. इसमें से कुछ महिलाएं दिल्ली की है, कुछ नोएडा, मुम्बई तो कुछ एनसीआर रीजन की हैं. कुछ कोलकाता से भी हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों से हैं, इसके अलावा 1 दुबई में रहती हैं. उनका कहना है कि हमारा मकसद सिर्फ ऐसे असामाजिक तत्वों को सबक सिखाना है. हम पुलिस से उम्मीद करते हैं कि इन्हें जल्द से जल्द पकड़ा जाए, ताकि महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें.


2500 करोड़ के ड्रग्स का मामला: 10 दिन पहले ही फरीदाबाद में बतौर किरायेदार रहने आए थे ड्रग डीलर गुरप्रीत और गुरजोत