सुनंदा पुष्कर केस: 42 महीने बाद भी पुलिस दाखिल नहीं कर पाई चार्जशीट, कोर्ट ने उठाए सवाल
पीठ ने मेनन की उस याचिका पर स्वामी से जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने इस आधार पर हस्तक्षेप करने की मांग की है कि उनकी मां की मौत के मामले में स्वामी को याचिका दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं है. आपको बता दें कि सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी, 2014 को दिल्ली के एक होटल में मृत पाई गई थीं.
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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में पुलिस द्वारा आरोपपत्र दाखिल नहीं कर पाने पर चिंता जताई है. न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर ने सुनंदा पुष्कर के बेटे शिव की उस याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा सुनंदा पुष्कर की मौत मामले की सीबीआई के नेतृत्व में एसआईटी से जांच कराने की मांग को लेकर दाखिल याचिका में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है.
पीठ ने मेनन की उस याचिका पर स्वामी से जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने इस आधार पर हस्तक्षेप करने की मांग की है कि उनकी मां की मौत के मामले में स्वामी को याचिका दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं है. आपको बता दें कि सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी, 2014 को दिल्ली के एक होटल में मृत पाई गई थीं.
सुनंदा के बेटे ने दी थी स्वामी की याचिका को चुनौती
इससे पहले शशि थरूर के सौतेले बेटे शिव मेनन ने शनिवार को दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की उस याचिका को चुनौती दी, जिसमें उन्होंने सुनंदा पुष्कर की रहस्यमय तरीके से हुई मौत के मामले की अदालत की निगरानी में समयबद्ध जांच की मांग की थी. मेनन ने कहा कि वह बेहद तनाव के दौर से गुजर रहे हैं कि उनकी मां का नाम सार्वजनिक बहस का विषय बन गया है, जिसके परिणामस्वरूप अफवाहें और अटकलें लगाई जाती हैं, जिससे उन्हें बेहद दुख होता है.
मेनन के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी से कहा था कि सुनंदा पुष्कर की मौत से संबंधित मामले में स्वामी द्वारा याचिका दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं बनता.
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