Sunehri Bagh Masjid: लुटियंस दिल्ली के हाईप्रोफाइल सिक्योरिटी वाले इलाके में बनी सुनहरी मस्जिद को हटाया जा सकता है. नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने इसको लेकर जनता के सुझाव मांगे हैं. वायु सेना भवन और उद्योग भवन चौराहे के बीच में बनी इस मस्जिद को हटाने को लेकर चर्चा की जा रही है.
दिल्ली के जानकारों का कहना है कि इस मस्जिद को ब्रिटिश राज के समय बनाया गया था. एनडीएमसी के इस नोटिस के बाद से मुस्लिम संगठन एक्टिव हो गये हैं. मुस्लिम मौलवियों के संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने ट्वीट करके कहा, 'हम सुनहरी बाग मस्जिद के लिए हर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे, मस्जिद को ध्वस्त करना एक साजिश है, बाबरी मस्जिद फैसले के बाद सांप्रदायिक ताकतों की हिम्मत बढ़ गई है, हम मस्जिद की सुरक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे, प्रशासन को गैरकानूनी गतिविधियों से बचना चाहिए'.
अपनी नोटिस में क्या बोला था एनडीएमसी?
एनडीएमसी का नोटिस दिल्ली उच्च न्यायालय की उस याचिका को रद्द करने के बाद आया है. एनडीएमसी ने अपनी नोटिस में कहा है कि ट्रैफिक को स्मूथ रूप से चलाने के लिए इंजीनियरिंग विभाग की तरफ से एक नोटिस आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि यहां से मस्जिद को हटाना ट्रैफिक की दृष्टि से काफी मुफीद रहेगा. कानून के मुताबिक जनता की आपत्तियां और सुझाव 1 जनवरी 2024 तक स्वीकार किए जाएंगे.
क्या है मस्जिद का पुराना इतिहास?
1912 के नक्शे में मस्जिद को हकीम जी का बाग के रूप में दिखाया गया है. इसी बाग को सुनहरी बाग भी कहा जाता है. दिल्ली की एक संस्था का इस मस्जिद को बचाने को लेकर तर्क है कि ये मस्जिद अभी तक इस्तेमाल में हैं. उनका कहना है कि यह मस्जिद मुगलकालीन शासन और संस्कृति को दर्शाती है और यह ऐतिहासिक है.
साथ ही उनका यह भी कहना है कि इस मस्जिद का रहना इस लिए भी अहम है कि जब लुटियंस बन रहा था तो इसकी ऐतिहासिकता को ध्यान में रखते हुए इसको इसकी जगह से नहीं हटाया गया था.
क्या कह रहे हैं आर्किटेक्चर?
ट्रैफिक व्यवस्था को ध्यान में रखने वाले आर्किटेक्चर का कहना है कि जिस समय नई दिल्ली बन रही थी तब वहां पर ट्रैफिक न के बराबर था लिहाजा मस्जिद को नहीं छेड़ा गया लेकिन उस घटना के 100 सालों बाद स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है. यहां अब ट्रैफिक बहुत है. जहां पर यह मस्जिद बनी है वहां ट्रैफिक और आस-पास के वातावरण को ध्यान में रखते हुए इसको हटाना बेहद जरूरी है.
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