नई दिल्ली: जितने मुंह, उतनी बातें. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के बारे में यही कहा जाता रहा है. संघ क्या करता है ? कैसे करता है ? इसके स्वयंसेवक कौन होते हैं ? आख़िर संघ इतने विवादों में क्यों रहता है ? ये ऐसे कई सवाल हैं जो लोगों के मन में ही रह जाते हैं. आरएसएस के लोग मीडिया से भी दूर रहते हैं. इस कारण उनके अंदर की बातें पब्लिक तक नहीं पहुंचती हैं. संघ के बारे में कई किताबें लिखी गईं. लेकिन अधिकतर आरएसएस के बाहर के लोगों ने लिखी. सालों बाद संघ के बारे में संघ के प्रचारक सुनील आंबेकर ने किताब लिखी है. The RSS : Roadmaps For The 21st Century किताब का विमोचन अगले महीने संघ प्रमुख मोहन भागवत करेंगे. ढाई सौ पन्नों की इस किताब में आरएसएस और उसकी चुनौतियों के बारे में चर्चा है.


सुनील आंबेकर एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री है. पिछले पंद्रह सालों से वे इस ज़िम्मेदारी को निभा रहे हैं. संघ के छात्र संगठन को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कहते हैं. आरएसएस का हेडक्वार्टर नागपुर में हैं. आंबेकर वहीं के रहनेवाले हैं. 1990 से ही वे आरएसएस के प्रचारक रहे हैं.


हिंदू राष्ट्र को लेकर संघ की क्या सोच है ? मुस्लिम और दूसरे धर्म के लोगों को लेकर आरएसएस की क्या योजना है ? आरक्षण पर संघ ने अपनी राय दुहरा दी है. पुष्कर में बैठक के बाद आरएसएस के दत्तात्रेय होसबोले कह चुके हैं कि जातिगत आरक्षण जारी रहे. लेकिन क्या हिंदुत्व के बढ़ते प्रभाव के चलते जातिगत व्यवस्था कमजोर होगी ? दलितों को मुख्य धारा में लाने के लिए संघ की क्या कार्य योजना है ? इन सारे सवालों से आंबेकर की किताब टकराती है. उनके जवाब तलाशती है. लेकिन कुछ सवाल अनसुलझे भी रह जाते हैं.


कश्मीर से धारा 370 हटाया जाए. ये आरएसएस के एजेंडे में टॉप पर रहा है. लेकिन सुनील आंबेकर की किताब में इसका कोई ज़िक्र नहीं है. क्योंकि तब तक मोदी सरकार ने 370 को बेअसर करने का फैसला कर चुकी थी. 21 वीं सदी में संघ के लिए बड़ी चुनौतियों पर आंबेकर ने विस्तार से लिखा है. समाज के हर जाति तक पहुंचने के लिए आरएसएस लगातार कार्यक्रम चलाती रहती है. नेशनल हाईवे के आसपास के इलाक़ों में संघ महामार्ग योजना चलाती है. आरएसएस के लोग गांव गॉंव जाकर वहां की अंक समस्या की पहचान तरते हैं. फिर उससे निपटने में गॉंव वालों की मदद करते हैं. सरकारी स्कूलों में स्कूलबेल कार्यक्रम के तहत लोगों को जोड़ा जा रहा है.


सुनील आंबेकर ने अपनी किताब में सोशल मीडिया की ताक़त के बारे में भी बताया है. ये भी समझाया गया है कि संघ के कार्यकर्ता सोशल मीडिया से कैसे अपना विस्तार कर रहे हैं. जेएनयू छात्र संघ के चुनाव में फिर वामपंथी संगठनों की जीत हुई. आरएसएस का छात्र संगठन एवीबीपी हाथ मलता रह गया. संघ का मानना है कि सालों से वहॉं जमे कई शिक्षकों की वजह से वे जीत नहीं पा रहे हैं. संघ का आरोप है कि ऐसे शिक्षक वामपंथी विचारधारा के हैं