(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
NIA का दावा- मनसुख हिरेन की हत्या में था सुनील माने का हाथ, मोबाइल से मिला चेम्बूर-एंटीलिया का मैप
मनसुख हिरेन की हत्या में मुंबई पुलिस के पूर्व इंस्पेक्टर सुनील माने का भी हाथ था. एनआईए के सूत्रों ने बताया कि सुनील माने इस पूरे षड़यंत्र का हिस्सा था. सुनील ने दूसरे आरोपियों को मनसुख हिरेन की हत्या करने में मदद की थी.
मुंबई. मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में गिरफ्तार मुंबई पुलिस के सस्पेंडेड इंस्पेक्टर सुनील माने के खिलाफ अब ऐसे भी सबूत मिले हैं जिससे यह पता चलता है कि सुनील माने को एंटीलिया कांड की भी जानकारी थी. सूत्रों ने बताया कि सुनील के मोबाइल की जांच के दौरान एक मैप का स्क्रीन ग्रेब मिला था. यह मैप चेम्बूर प्रियदर्शनी से लेकर एंटीलिया तक जाने का रास्ता था. बता दें कि इसी रास्ते का इस्तेमाल कर 25 फरवरी को स्कॉर्पियो चेम्बूर से एंटीलिया पहुंची थी.
सुनील माने को पिछले हफ्ते गिरफ्तार कर कल कोर्ट में पेश किया गया था. इस दौरान एनआईए ने कोर्ट को बताया कि सुनील माने ने मनसुख की हत्या में अहम भूमिका निभाई थी. इसके साथ ही उसके मोबाइल में मिले रोड मैप से यह बात भी साफ हो रही है कि एंटीलिया कांड के बारे में उसे जानकारी थी.
एनआईए के सूत्रों ने बताया कि सुनील माने इस पूरे षड़यंत्र का हिस्सा था. सुनील ने दूसरे आरोपियों को मनसुख हिरेन की हत्या करने में मदद की थी. सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र एटीएस जो कि इस मामले की पहले से जांच कर रही थी तब उन्हें उसके मोबाइल से रोड मैप मिला था और तब एटीएस भी सुनील माने को गिरफ्तार करने वाले थी, पर ऐन वक्त में कोर्ट का ऑर्डर आ गया और एटीएस ने जांच रोक दी. एनआईए ने कोर्ट में ये भी बताया कि सुनील माने 4 मार्च की शाम को अपने ऑफिस में नही था, बल्कि मनसुख की हत्या के समय वो ठाणे गया था.
एनआईए ने कोर्ट में बताई पूरी वारदात
एनआईए के वकील ने कोर्ट को पूरी वारदात बताई. उन्होंने कहा कि 4 मार्च को सुनील माने ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ करके अपने बैग में रखा था. उन्होंने बैग अपने ऑफिस में कांदिवली की क्राइम ब्रांच यूनिट में ही छोड़ा था. इसके बाद उसने अपने किसी सहकर्मी को वो बैग उनके घर ले जाने को कहा था. जांच में यह भी बात सामने आई कि माने फिर कलवा गया जहां पर वाझे को अपनी गाड़ी में बैठाया. दोनों जन फिर आगे मुंब्रा की तरफ बढ़े और मनसुख को भी अपनी गाड़ी में बैठा लिया.
इतना करने के बाद मनसुख का मोबाइल सुनील माने ने ले लिया और उसे तुरंत ही बंद कर दिया ताकि लोकेशन का पता न चले कि उसे कहां ले जाया जा रहा है. इसके बाद दोनों लोगों ने मनसुख को किसी और को हैंडओवर कर दिया. इतना करने के बाद सुनील माने वसई जाता है जहां पर वो मनसुख का मोबाइल फोन स्विच ऑन करता है ताकि भविष्य में मनसुख की हत्या की जांच की जाए तो जांच करने वाले वसई में मनसुख को ढूंढे और मनसुख का पता ही ना लगा पाए.
माने को 1 मई तक हिरासत में भेजा
एनआईए ने कहा कि उन्हें इस मामले में और जांच करनी है. आखिर मनसुख का मोबाइल फ़ोन कहा गया इसके अलावा और भी जांच करनी है. जिसके बाद कोर्ट ने सुनील माने को 1 मई तक एनआईए की कस्टडी में भेज दिया.
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