नई दिल्ली: चक्रवाती तूफान फोनी ओडिशा में दस्तक दे चुका है. पुरी समेत कई जिलों में भारी बारिश हो रही है. 175 किलोमीट प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही है. इससे निपटने के लिए प्रशासन तैयार है. राहत-बचाव कार्य में शामिल टीम ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. करीब 11 लाख लोगों को अबतक सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है.


पहली बार नहीं है जब ओडिशा तूफान का सामना कर रहा है. ओडिशा में साल 1893, 1914, 1917, 1982 और 1989 और 1999 में तूफान का असर काफी देखा गया.


सुपर साइक्लोन: साल 1999 में आए तूफान को सुपर साइक्लोन के नाम से जाना जाता है. इस तूफान में करीब 10 हजार लोगों की मौत हो गई थी. 15 लाख लोग बेघर हो गए. तब हवा की रफ्तार करीब 250 किलोमीटर प्रति घंटा थी.


तितली तूफान: पिछले साल अक्टूबर में तितली तूफान ने दस्तक दी थी. इस तूफान से गंजम, गजपति और रायगढ़ समेत कम से कम 15 जिलों के करीब 50 लाख लोग प्रभावित हुए थे. 27 लोगों की मौत हुई थी. कईयों के घर तबाह हो गए. मछली का कारोबार प्रभावित हुआ.


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गाजा तूफान: इसके ठीक बाद नवंबर, 2018 में देश ने गाजा का सामना किया. तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश में इसका असर देखा गया. इस तूफान में कम से कम 45 लोगों की मौत हो गई थी.


ओखी तूफान: इससे पहले 29 नवंबर 2017 को आए ओखी तूफान में 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. इसका असर तमिलनाडु और केरल में देखा गया था.


हुदहुद तूफान: ओडिशा में ही 2014 के अक्टूबर में हुदहुद तूफान आया था तब 16 जिलों में इसका प्रभाव देखा गया था. हुदहुद का असर आंध्र प्रदेश में भी देखा गया. दोनों राज्यों में कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई थी.


 फैलिन तूफान: इससे पहले फैलिन तूफान अक्टूबर, 2013 में आंध्र प्रदेश से टकराया. इस तूफान से करीब 90 लाख लोग प्रभावित हुए. 30 लोगों की मौत हो गई. हजारों घर तबाह हो गए. फसलें बर्बाद हो गई.