Supermoon 2023: अंतरिक्ष में कभी-कभी बेहद अद्भुत घटनाएं घटती हैं. इनमें से कई घटनाएं बेहद ही खूबसूरत होती हैं और लोगों को आकर्षित करती हैं. इसी क्रम में कोलकाता में एक अगस्त को भारत के लोग दुनिया के अन्य लोगों के साथ इस महीने में पहले दुर्लभ ‘सुपरमून’ के गवाह बने. इसी अगस्त माह में दो बार ‘सुपरमून’ की घटना देखने को मिलेगी.
एमपी बिड़ला तारामंडल के पूर्व निदेशक देबीप्रसाद दुआरी ने यह जानकारी दी है. इस घटना के बारे में बताते हुए खगोल वैज्ञानिक दुआरी ने कहा कि चंद्रमा 27.3 दिनों में एक बार दीर्घवृत्ताकार कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है. इस कारण, अपनी कक्षा में किसी बिंदु पर यह पृथ्वी से सबसे दूर होगा. दूर के बिंदु को ‘अपोजी ’ कहा जाता है और किसी दूसरे समय में पृथ्वी के सबसे निकट होने की दशा को उसे ‘पेरिगी’ कहा जाता है.
आखिरी बार 2018 में दिखा था सुपरमून
उन्होंने बताया, ‘जब ‘पेरिगी’ के समय चांद धरती के सबसे निकट होता है, तब उस पूर्णिमा को ‘सुपरमून’ कहते हैं क्योंकि उसका आकार तब सामान्य से बड़ा दिखता है.’ उन्होंने यह भी कहा कि आखिरी बार एक ही महीने में दो सुपरमून 2018 में देखे गए थे और ऐसी अगली घटना 2037 में देखी जाएगी.
इस एक अगस्त (1 अगस्त) को नजर आए मून को स्टर्जन मून के रूप में जाना जाता है. सुपरमून होने की वजह से यह चंद्रमा ज्यादा चमदार दिखाई दिया. एक अगस्त को स्टर्जन मून 2:32 बजे अपने पीक पर रहा. सूर्यास्त के बाद जब यह दक्षिण- पूर्व क्षितिज से ऊपर उठा तभी यह पूरी तरह नजर आया .
चंद्रयान- 3 की टाइमिंग से मैच
खगोल वैज्ञानिक दुआरी ने कहा, ‘यह उत्साहजनक है क्योंकि संयोग से चंद्रयान- 3 का मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा की ओर रुख करेगा.’ चंद्रयान- 3 के 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने का कार्यक्रम है.
उन्होंने ने यह भी कहा, ‘चंद्रमा अंडाकार कक्षा में घूमते हुए 27.3 दिन में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है. इसका नतीजा है कि कक्षा में एक समय आता है जब वह पृथ्वी से सबसे दूर होता है और उसी बिंदु को अपोजी कहते हैं और जब वह सबसे नजदीक आता है तो उस बिंदु को पेरिजी कहते हैं.’
उन्होंने कहा की, ‘जब पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पेरिजी के निकट होता या पृथ्वी के करीब होता है तो उसे हम ‘सुपरमून’ कहते हैं.