'आपको कुछ महीने के लिए जेल भेजना होगा', सुप्रीम कोर्ट में ऐसा क्या हुआ...जज को कहनी पड़ी ये बात
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में एक वादी ने जज को ही आतंकवादी कह दिया. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, 'आपको कुछ महीने के जेल भेजना होगा तभी आपको एहसास होगा.'
Supreme Court: उच्चतम न्यायालय ने शीर्ष न्यायालय के एक न्यायाधीश को एक वादी द्वारा ‘आतंकवादी’ कहे जाने पर शुक्रवार को नाराजगी जताई और रजिस्ट्री को उसे कारण बताओ नोटिस जारी करने का आदेश दिया. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वादी द्वारा लगाए गए आरोपों को ‘अपमानपूर्ण’ करार देते हुए कहा, ‘आपको कुछ महीने के लिए जेल भेजना होगा, तब आपको एहसास होगा.’ पीठ ने व्यक्ति की आलोचना करते हुए कहा, ‘आप उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश पर यूं ही कोई आरोप नहीं लगा सकते हैं.’
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सेवा के एक लंबित विषय में एक व्यक्ति की अर्जी पर सुनवाई कर रहा था. अर्जी देने वाले व्यक्ति की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि वह उसका प्रतिनिधित्व तभी करेंगे, जब वह माफी मांगेगा. व्यक्ति ने कहा, ‘‘मैं माफी मांगता हूं.’’ उसने कहा कि वह उस वक्त अत्यधिक मानसिक पीड़ा से गुजर रहा था, जब उसने अर्जी दायर की थी. पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘यह अपमानपूर्ण है.’’
सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते में मांगा स्पष्टीकरण
न्यायालय ने कहा, हम आपको इस बारे में कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे कि आप पर क्यों नहीं आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलना चाहिए.’ पीठ ने कहा, ‘‘हम अर्जी की समय पूर्व सुनवाई के इच्छुक नहीं है. अर्जी खारिज समझी जाए.’’ पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वह व्यक्ति को अपने आचरण के बारे में स्पष्टीकरण देने के सिलसिले में एक हलफनामा दाखिल करने के वास्ते तीन हफ्ते का वक्त देती है.
न्यायाधीश ने कहा कि यह एक सर्विस मैटर है और आप जज के बारे में इस तरह बात करते हैं. इसे जस्टिस कोहली ने दोहराया. न्यायाधीश को आपके सर्विस मैटर में क्या दिलचस्पी होगी? इस पर सीजेआई ने टिप्पणी की, "हम आप पर आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे. इसके बाद याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से माफी मांगते हुए कहा कि मैं जबरदस्त आघात से गुजर रहा था क्योंकि कोरोना था. जस्टिस कोहली ने कहा, "आपकी माफी पर्याप्त नहीं है."
सीजेआई ने पूछा, "आपने जल्दी सुनवाई के लिए अर्जी कब दाखिल की?" याचिकाकर्ता ने जवाब दिया, "पहली बार मार्च, 2021, दूसरी बार जुलाई, 2021 में दाखिल की." जस्टिस हिमा कोहली ने याचिकाकर्ता से पूछा, "पहली बार में भी आपने इसी तरह की बातें लिखीं?" जैसा कि याचिकाकर्ता ने हां में जवाब दिया, जज ने जवाब दिया, "बहुत खूब." बेंच ने जल्द सुनवाई की अर्जी को खारिज कर दिया और कारण बताओ नोटिस जारी किया. साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता का आवेदन खारिज किया जाएगा.
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