All-Woman Bench Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में आज (1 दिसंबर) शायद तीसरी बार ऐसा होगा जब एक महिला बेंच सुनवाई के लिए बैठेगी. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को जस्टिस हिमा कोहली और बेला एम त्रिवेदी की पीठ गठित की थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहली बार सुप्रीम कोर्ट में 2013 में एक महिला बेंच थी. उस समय जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और रंजना प्रकाश देसाई एक साथ बैठे थे. साल 2018 में ऐसा दूसरी बार हुआ, जब जस्टिस आर भानुमति और इंदिरा बनर्जी ने 5 सितंबर को एक बेंच साझा की.


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस कोहली (Justice Kohli) और त्रिवेदी की पीठ के पास 32 मामले सूचीबद्ध हैं, जिसमें वैवाहिक विवादों से जुड़ी 10 ट्रांसफर याचिकाएं और 10 जमानत मामले शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में केवल तीन महिला न्यायाधीश हैं- जस्टिस कोहली, बीवी नागरत्ना और बेला एम त्रिवेदी. जस्टिस कोहली का कार्यकाल सितंबर 2024 तक है, जस्टिस त्रिवेदी जून 2025 तक पद संभालेंगी और जस्टिस नागरत्ना 2027 में देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनने वाली हैं.


सुप्रीम कोर्ट में अब 34 जजों की स्वीकृति के बावजूद सिर्फ 27 जजों की कार्य क्षमता है. वहीं अगले महीने यह रिक्ति बढ़कर आठ हो जाएगी, क्योंकि जस्टिस एस अब्दुल नजीर 4 जनवरी 2023 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. अगले साल सात और जजों का कार्यकाल पूरा हो रहा है.


सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों का इतिहास


सुप्रीम कोर्ट में 1989 में पहली महिला न्यायाधीश एम फातिमा बीवी की नियुक्ति हुई थी. उनके बाद जस्टिस सुजाता मनोहर, रूमा पाल, ज्ञान सुधा मिश्रा, रंजना प्रकाश देसाई, आर भानुमति, इंदु मल्होत्रा, इंदिरा बनर्जी, कोहली, नागरत्न और त्रिवेदी थे. अंतिम तीन को एक ही दिन 2 सितंबर, 2021 को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना के कार्यकाल के दौरान शपथ दिलाई गई थी. उस समय जस्टिस बनर्जी सहित महिला न्यायाधीशों की संख्या चार हो गई थी. बता दें कि जस्टिस बनर्जी इसी साल 23 सितंबर को सेवानिवृत्त हो गईं हैं. 


गौरतलब है कि जस्टिस कोहली सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति से पहले तेलंगाना हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश थीं. वहीं, जस्टिस त्रिवेदी सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति से पहले गुजरात हाईकोर्ट की जज थीं.


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