Supreme Court On Pregnancy Termination: सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (Medical Termination Of Pregnancy Act) में विस्तार करते हुए 24 सप्ताह की गर्भवती अविवाहित महिला को गर्भपात (Abortaion) करने की अनुमति दे दी. महिला लिव इन रिलेशनशिप (Live In Relation) में अपने पार्टनर के साथ रहती थी और दोनों के बीच सहमति से संबंध बनाने के कारण वह गर्भवती हई थी. 


जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और एएस बोपन्ना की पीठ ने ये निर्धारित करने के लिए कि क्या गर्भावस्था को समाप्त करने पर महिला के जीवन को जोखिम में डाल सकता है या नहीं? एम्स निदेशक (AIIMS Director) को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के प्रावधानों के तहत शुक्रवार तक महिला की जांच के लिए दो डॉक्टरों का एक मेडिकल बोर्ड (Medical Board) गठित करने का निर्देश दिया.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी 2021 में जो बदलाव किया गया है उसके तहत एक्ट में महिला और उसके पार्टनर शब्द का इस्तेमाल किया गया है. वहां पार्टनर शब्द का इस्तेमाल है न कि पति शब्द का. ऐसे में एक्ट के दायरे में अविवाहित महिला भी कवर होती है. 


SC ने की ये टिप्पणी


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता महिला को इसलिए एक्ट के सुविधा से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वह अविवाहित है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता महिला अनचाहा गर्भधारण के कारण परेशानियों का सामना कर रही है और जो कि कानून की भावना के खिलाफ है. शीर्ष अदालत ने प्रक्रिया के एक सप्ताह के भीतर मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट मांगी और कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) का आदेश उपरोक्त सीमा तक संशोधित रहेगा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि जून के महीने में सहमति से संबंध बनाने वाली महिला को अपनी गर्भावस्था के बारे में पता चला और जांच के दौरान पता चला कि वह 22 सप्ताह की गर्भवती है. जिसके बाद उसने गर्भपात कराने का फैसला किया. 


दिल्ली HC ने नहीं दी थी मंजूरी


दिल्ली हाईकोर्ट की एक बेंच ने महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए 16 जुलाई को जारी एक आदेश में महिला को 23 सप्ताह के भ्रूण को गर्भपात करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. अदालत ने अपने आदेश में गर्भपात की अनुमति से इनकार करते हुए कहा था कि यह वस्तुतः भ्रूण को मारने के बराबर है. इसलिए इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती. आपको बता दें कि 25 वर्षीय महिला याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया था कि उसके साथी, जिसके साथ वह सहमति से रिश्ते में थी उसने शादी करने से इनकार कर दिया था.


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