नई दिल्ली: आम्रपाली बिल्डर मामले की सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट के द्वारा नियुक्त किए गए ऑडिटर्स ने बयाया कि बिल्डर ने लगभग 500 लग्जरी फ्लैट्स 1 रुपए, 5 रुपए और 11 रुपए प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से बेच दिए. ऑडिटर्स ने कोर्ट को बताया कि बिल्डर ने लोगों के करोड़ों रुपए खपाने के लिए 23 फर्जी कंपनियां चपरासी, ड्राइवर और ऑफिस ब्यॉय के नाम पर बनाई. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को करेगा.


फारेंसिक ऑडिटर्स ने रिपोर्ट में बताया कि कंपनी के चीफ फाइनेंसियल ऑफिसर चंदर वाधवा ने पिछले साल 4.75 करोड़ रुपए की राशि सुप्रीम कोर्ट में पेश होने से तीन दिन पहले बेनाम व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर करवा दिया था. यह जानने के बाद कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की और सुनवाई  के दौरान मौजूद वाधवा को अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दे दी. कोर्ट ने वाधवा को कहा, "सात दिनों के अंदर आप वो पैसे वापस लाएं". बेंच ने वाधवा को न्याय मिलने में रुकावट डालने के लिए फटकार भी लगाई.


इससे पहले कोर्ट ने फारेंसिक ऑडिटर्स को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के उस ऑर्डर की कॉपी कोर्ट में पेश करने को कहा जिसके तहत आम्रपाली ग्रुप में साल 2013-14 में छापेमारी के दौरान 200 करोड़ रुपए के फर्जी बिल जब्त किए गए थे. आम्रपाली जोडिएक में 85 करोड़ का इंवेस्टमेंट करने के लिए कोर्ट की नजर में जेपी मॉर्गन रियल एस्टेट कंपनी भी आ गई है.


इससे पहले दिसंबर 12 को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर मामले में 3000 करोड़ रुपए की जांच के लिए 2 फॉरेंसिक ऑडिटर की नियुक्ति की थी. आम्रपाली बिल्डर ने लोगों को 42 हजार फ्लैट समय पर नहीं दिए जिसके बाद यह मामला सामने आया.


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