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'ये तो लापरवाही है, एक दस्तावेज भी नहीं ढूंढ सके आप', पेड़ों की कटाई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने DDA को फटकारा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति का एकमात्र उद्देश्य उच्च अधिकारियों को बचाना और उनकी रक्षा करना है और जिम्मेदारी कनिष्ठ अभियंता या कार्यकारी अभियंता जैसे कनिष्ठ अधिकारियों पर डालना है.'

सुप्रीम कोर्ट ने रिज इलाके में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के दौरे से संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं कराने पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को बुधवार (26 जून, 2024) को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि डीडीए उच्च अधिकारियों का बचाव कर रहा है और अधीनस्थ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रहा है. रिज इलाके में 1,100 पेड़ों को काटने का मामला सामने आया है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि यह डीडीए की ओर से पूरी तरह से लापरवाही है कि वह तीन फरवरी के वीके सक्सेना के दौरे की जानकारी देने वाला एक साधारण दस्तावेज भी नहीं ढूंढ़ सका.

पीठ ने कहा, 'यह आपकी ओर से पूरी तरह से लापरवाही है. आप साधारण दस्तावेज नहीं ढूंढ़ सके. कुछ भी नहीं किया गया है, अधिकारियों की कोई बैठक नहीं बुलाई गई. मुझे वास्तव में उम्मीद है कि उपाध्यक्ष इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं. जिस तरह से चीजें की जा रही हैं, उसे लेकर हमें संदेह हैं. हम देख सकते हैं कि ई-मेल का पहला हिस्सा जिसमें उपराज्यपाल से मिलने की बात कही गई है, सही है....'

डीडीए का मकसद उच्च अधिकारियों को बचाना है, बोला सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा, 'जब ई-मेल में कहा गया है कि उपराज्यपाल ने इलाके का दौरा किया और पेड़ों को काटने का आदेश दिया, तो क्या यह डीडीए की जिम्मेदारी नहीं है कि वह इस मामले को देखे? समिति का एकमात्र उद्देश्य उच्च अधिकारियों को बचाना और उनकी रक्षा करना है और जिम्मेदारी कनिष्ठ अभियंता या कार्यकारी अभियंता जैसे कनिष्ठ अधिकारियों पर डालना है.'

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली निवासी बिंदु कपूरिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया है कि चार मार्च को डीडीए को पेड़ न काटने का आदेश दिए जाने के बावजूद पेड़ काटे गए और यह तथ्य अदालत से छिपाया गया. सुनवाई की शुरुआत में डीडीए उपाध्यक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने अदालत को सूचित किया कि एजेंसी रिकॉर्ड प्राप्त करने का प्रयास कर रही है और उसकी मंशा है कि पीठ को कोई गलत जानकारी न दी जाए.

मनिंदर सिंह ने दलील दी कि वीके सक्सेना ने केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों के अस्पताल का दौरा किया था और संबंधित स्थान पर नहीं गए थे. उन्होंने सूचना अदालत में जमा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय देने का अनुरोध किया. इस पर पीठ ने कहा, 'डीडीए तीन फरवरी, 2024 को माननीय उपराज्यपाल के उक्त स्थान के दौरे की जानकारी प्राप्त नहीं कर सका. डीडीए के विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता ने समय मांगा है. हमें नहीं लगता कि इतनी सरल जानकारी प्राप्त करने के लिए समय का अनुरोध करना सही है.'

जब अदालत ने एलजी वीके सक्सेना के दौरे के समय मौजूद अधिकारी के बारे में पूछा, तो मनिंदर सिंह ने कहा कि उनका नाम अशोक कुमार गुप्ता है जो इंजीनियरिंग सदस्य हैं. इसके बाद अदालत ने आदेश पारित किया.

इसमें कहा गया, 'हम अशोक कुमार गुप्ता को निर्देश देते हैं कि वह एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करें कि उपराज्यपाल के दौरे के दौरान वास्तव में क्या हुआ. वह यह भी बताएं कि क्या उपराज्यपाल द्वारा कोई मौखिक निर्देश जारी किए गए थे. हम यह स्पष्ट करते हैं कि श्री गुप्ता इसे डीडीए अधिकारी की हैसियत से नहीं बल्कि इस न्यायालय के अधिकारी के रूप में यह जानकारी दाखिल करेंगे.'

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि अधिकारी उक्त स्थान पर काटे गए पेड़ों की लकड़ी का पता नहीं लगा सके. कोर्ट ने इससे पहले छतरपुर से दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय तक सड़क बनाने के लिए दक्षिणी रिज के सतबारी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​का नोटिस जारी किया था.

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