सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त की सुविधाएं उपलब्ध कराने संबंधी परेशानियों पर चिंता जताते हुए मंगलवार (26 नवंबर, 2024) को कहा कि कोविड-19 का समय अलग था, जब संकटग्रस्त प्रवासी श्रमिकों को राहत प्रदान की गई थी. कोर्ट ने 29 जून, 2021 को एक फैसले और उसके बाद के आदेशों में अधिकारियों को कई निर्देश दिये थे जिनमें उन्हें कल्याणकारी उपाय करने के लिए कहा गया था. इनमें ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड सभी प्रवासी श्रमिकों का राशन कार्ड बनाना शामिल है, जो कोविड-19 महामारी के दौरान प्रभावित हुए थे.
यह पोर्टल असंगठित श्रमिकों का एक व्यापक राष्ट्रीय डेटाबेस है जिसे केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया था. इसका प्राथमिक उद्देश्य देशभर में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को कल्याणकारी लाभ और सामाजिक सुरक्षा उपायों के वितरण को सुविधाजनक बनाना है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ को मंगलवार को सभी प्रवासी श्रमिकों के लिए मुफ्त राशन का अनुरोध करने वाले एक गैर सरकारी संगठन (NGO) की ओर से पेश एडवोकेट प्रशांत भूषण ने बताया कि अदालत ने केंद्र को उन सभी श्रमिकों को मुफ्त राशन और राशन कार्ड उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, जो पोर्टल पर पंजीकृत हैं.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'राशन कार्ड एक महत्वपूर्ण आधिकारिक दस्तावेज है जो किसी व्यक्ति की पहचान और अधिकार से जुड़ा है, लेकिन मुश्किलें तब आती हैं जब हम मुफ्त सुविधाओं में लिप्त हो जाते हैं. कोविड का समय कुछ अलग था, लेकिन अब हमें इस पर गौर करना होगा.'
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रशांत भूषण की दलील पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 से बंधी हुई है और जो भी वैधानिक रूप से प्रावधान किया गया है, वह दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे एनजीओ हैं जिन्होंने महामारी के दौरान जमीनी स्तर पर काम नहीं किया और वह हलफनामे के जरिये बता सकते हैं कि याचिकाकर्ता एनजीओ उनमें से एक है.
प्रशांत भूषण ने दलील दी कि चूंकि केंद्र ने प्रवासी श्रमिकों के लिए 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर भरोसा किया और 2021 में जनगणना नहीं की, इसलिए उसके पास वास्तविक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर नौ दिसंबर को फिर से सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने दो सितंबर को केंद्र से एक हलफनामा दायर करने को कहा था जिसमें प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड और अन्य कल्याणकारी उपाय प्रदान करने के संबंध में उसके 2021 के फैसले और उसके बाद के निर्देशों के अनुपालन के बारे में विवरण दिया गया हो.
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान स्वत: संज्ञान वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसका मकसद उन संकटग्रस्त प्रवासी श्रमिकों का कल्याण सुनिश्चित करना था, जिन्हें लॉकडाउन के दौरान दिल्ली और अन्य स्थानों से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था.
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