टेलीकॉम कंपनियों और सरकार पर भड़के जज, कहा- SC को बंद ही क्यों न कर दिया जाए?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टेलीकॉम कंपनियों को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि 7 मार्च तक वह सारे पैसे चुका दें. पिछले साल 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने AGR की सरकार की परिभाषा को सही करार दिया था.
नई दिल्ली: एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) मामले में अपने आदेश का पालन न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है. कोर्ट ने सरकार की देनदारी न चुकाने वाली टेलीकॉम कंपनियों को नोटिस जारी किया है. पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत की अवमानना के लिए कार्रवाई की जाए. साथ ही, आदेश के अमल में बाधक सर्कुलर जारी करने वाले अधिकारी को जेल भेजने की धमकी दी है.
पिछले साल 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने AGR की सरकार की परिभाषा को सही करार दिया था. कंपनियों का कहना था कि AGR के तहत सिर्फ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम चार्ज आते हैं. लेकिन सरकार इसमें रेंट, डिविडेंड, संपत्ति की बिक्री से लाभ जैसी चीजों को भी शामिल बता रही थी.
कोर्ट की तरफ से सरकार की बात को सही करार देने से टेलीकॉम कंपनियों पर 92 हज़ार करोड़ रुपए की देनदारी आ गई थी. इसमें एयरटेल को लगभग 23, वोडाफोन-आइडिया को 27, आरकॉम को 16.5 हजार करोड़ रुपये चुकाने हैं. कोर्ट इस मामले में कंपनियों की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर चुका है.
आज AGR की देनदारी चुकाने के लिए और मोहलत की टेलीकॉम कंपनियों की मांग पर सुनवाई थी. 3 जजों की बेंच के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा इस अर्जी पर भड़क गए. उन्होंने कहा, “कोर्ट स्पष्ट रूप से आदेश दे चुका है. पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी गई है. अब तक आप लोगों ने एक पैसा जमा नहीं करवाया है. और तो और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम विभाग के एक अधिकारी ने सर्कुलर जारी कर दिया है कि कंपनियों के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं होगी. क्या हम जान सकते हैं कि देश में क्या हो रहा है? एक डेस्क अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आगे जाकर कुछ कैसे कह सकता है?”
जस्टिस मिश्रा यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा, “मुझे तो लगता है सुप्रीम कोर्ट को बंद कर देना चाहिए. बल्कि ऐसे देश में हमारे रहने की कोई जरूरत ही नहीं जहां पैसा ही सब कुछ है. जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कोई अहमियत नहीं. हमारे आदेश के अमल में बाधा डालने वाले अधिकारी को यहां पेश किया जाए. हम उसे सीधे तिहाड़ जेल भेज देंगे.”
कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को फटकार लगाते हुए कहा, “आपको पहले अपनी अच्छी नीयत दिखानी चाहिए थी. तब यहां आना चाहिए था. एक भी पैसा जमा कराए बिना आप यहां आ गए. आप हमें बताइए कि आप के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए. 17 मार्च को मामले की सुनवाई होगी तो आप के सीएमडी और प्रबंध निदेशक यहां व्यक्तिगत रूप से पेश हों और सफाई दें.”
हालांकि, बाद में कुछ नरमी दिखाते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर अगले शुक्रवार तक कंपनियां एक उचित रकम सरकार के पास जमा करवाती हैं, तो इसे उनकी अच्छी नीयत का सबूत माना जाएगा. 17 मार्च तक वह सारे पैसे चुका दें तो कार्रवाई की जरूरत नहीं रह जाएगी.
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