Article 370 Verdict Highlights: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 370 हटाने का फैसला सही, महबूबा मुफ्ती बोलीं- SC का निर्णय मौत की सजा
Article 370 Verdict Highlights:: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के सरकार के फैसले को सोमवार (11 दिसंबर) को बरकरार रखा.
जम्मू-कश्मीर बीजेपी के चीफ रवींद्र रैना ने निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि ‘हम फैसले का सही अर्थों में आदर और सम्मान करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए जम्मू-कश्मीर बीजेपी के चीफ रविंद्र रैना ने कहा कि उम्मीद है कि इसको लेकर राजनीति नहीं होगी.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को बरकरार रखने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ‘मौत की सजा से कहीं से कम नहीं है.
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीरी पंडितों की घाटी में सुरक्षित वापसी की गारंटी देंगे.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कोर्ट के फैसले के बाद एक्स पर एक पोस्ट कर कहा, ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 ए के संबंध में दिया गया निर्णय ‘अभिनंदनीय’ है. यह ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूती प्रदान करने वाला है. ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर को देश की मुख्यधारा से जोड़ने वाले ऐतिहासिक कार्य के लिए 25 करोड़ प्रदेश वासियों की ओर से उनका पुनः हार्दिक आभार.’’
संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का बचाव करने में केंद्र की ओर से प्रमुख वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार के पांच अगस्त 2019 के फैसले को बरकरार रखने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला इतिहास में दर्ज किया जाएगा.
छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले विष्णुदेव साय ने 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसले का स्वागत किया. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ''अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर आज का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है. 5 अगस्त 2019 को भारत की संसद द्वारा लिए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखा जाना भारत की जीत है. यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है.''
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार (11 दिसंबर) को कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को यह बताना चाहिए कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को भारत के अधीन कब लाया जाएगा क्योंकि उन्होंने संसद के भीतर ऐसा बयान दिया था.
जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खुशी जताई. उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा शक्ति और गृह मंत्री अमित शाह की शानदार रणनीति है जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के ऐतिहासिक निर्णय को संभव बनाया.''
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश हैं, लेकिन निरुत्साहित नहीं हैं. अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘निराश हूं, लेकिन निरुत्साहित नहीं हूं. संघर्ष जारी रहेगा.’’ जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने में दशकों लगे और वे भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं.
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि 2019 में चीफ जस्टिस ने एक सेमिनार में कहा था कि सार्वजनिक विचार-विमर्श हमेशा उन लोगों के लिए खतरा रहेगा जिन्होंने इसकी अनुपस्थिति में सत्ता हासिल की है. सवाल यह है कि क्या आप पूरे राज्य में कर्फ्यू लगाकर किसी राज्य की विशेष स्थिति को रद्द कर सकते हैं और वो भी निर्वाचित विधान सभा के बिना, जबकि यह अनुच्छेद 356 के अधीन है? 5 अगस्त को कश्मीर में विचार-विमर्श करने का अधिकार किसे था?
उन्होंने कहा कि मैंने इसे पहले भी कहा है और मैं इसे फिर से कहूंगा. एक बार इसे वैध कर दिया गया, तो केंद्र सरकार को चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद या मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाने से कोई नहीं रोक सकता. लद्दाख के मामले को देखें, यहां उपराज्यपाल द्वारा शासन किया जा रहा है, जिसका कोई लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व नहीं है.
धानमंत्री मोदी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि जम्मू कश्मीर, लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति, एकता की शानदार घोषणा है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के लोग न तो उम्मीद खोने वाले हैं और न ही हार मानने वाले हैं. सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए हमारी लड़ाई बिना किसी परवाह के जारी रहेगी. यह हमारे लिए रास्ते का अंत नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला केवल कानूनी निर्णय नहीं है बल्कि आशा की किरण और मजबूत, अधिक एकजुट भारत के निर्माण के सामूहिक संकल्प का प्रमाण है .
बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जरिए अनुच्छेद 370 के विषय में दिए गए फैसले का भारतीय जनता पार्टी स्वागत करती है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ धारा ने 370 और 35A को हटाने के लिए गये निर्णय, उसकी प्रक्रिया और उद्देश्य को सही ठहराया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जम्मू- कश्मीर को देश की मुख्य विचारधारा में जोड़ने का ऐतिहासिक काम किया है, इसके लिए मैं और हमारे करोड़ों कार्यकर्ता प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करते है.
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जताई है. उन्होंने कहा है कि अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निराशाजनक है. न्याय एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के लोगों से दूर रहा है. अनुच्छेद 370 भले ही कानूनी रूप से खत्म कर दिया गया हो, लेकिन यह हमेशा हमारी राजनीतिक आकांक्षाओं का हिस्सा बना रहेगा. उन्होंने कहा कि राज्य के दर्जे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करने से भी परहेज किया. आशा करते हैं कि भविष्य में न्याय अपनी दिखावे की नींद से जागेगा.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि मुझे निर्णय से निराशा है, मगर मैं दुखी नहीं हूं. हमारा संघर्ष जारी रहने वाला है. बीजेपी को यहां तक पहुंचने में दशकों का वक्त लगा है. हमने भी लंबे वक्त की तैयारी की हुई है.
सुप्रीम कोर्ट के जरिए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को संवैधानिक मान्यता देने पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और महाराजा हरि सिंह के बेटे कर्ण सिंह का कहना है कि मैं इसका स्वागत करता हूं. अब यह स्पष्ट हो गया है कि जो कुछ भी हुआ वह संवैधानिक रूप से वैध है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध करता हूं जल्द ही राज्य का दर्जा बहाल किया जाए. उन्होंने कहा कि मैं तो कहूंगा कि पहले दर्जा मिले फिर चुनाव हों. कोर्ट ने सितंबर तक चुनाव की बात कही है जो सही है. काफी लंबे समय से चुनाव नहीं हुए हैं. बहुत से लोगों को यह फैसला अच्छा नहीं लगेगा. मेरी उन्हें राय है कि इस फैसले को स्वीकार कर लें और अब अपनी ताकत चुनाव में लगाएं. इसे अब अच्छे ह्रदय से स्वीकार कर लेना चाहिए.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि हमारी आखिरी उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करे. तीन-चार महीने तक तक इस पर सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई. इसके बाद एक पूर्ण बहुमत से जो फैसला आया है उससे जम्मू कश्मीर के लोग खुश नहीं हैं. मैं आज भी समझता हूं कि यह हमारे क्षेत्र के लिए 370 और 35 ए ऐतिहासिक चीज थी और हमारे जज्बात से जुड़ी थी. जिस 35 ए को महाराज हरि सिंह ने बनाया था, जब हमारा संविधान बना तो उसे शामिल किया गया था. लेकिन इसे भी खत्म कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा. जमीने महंगी हो जाएंगी, पूरे हिंदुस्तान से लोग जम्मू कश्मीर आएंगे. हमारी सबसे बड़ी इंडस्ट्री पर्यटन और सरकारी नौकरी है, लेकिन अब पूरे देश के लोग इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं. इससे हमारे बच्चों के लिए बेरोजगारी बढ़ेगी. जब 370 लागू किया गया था तो इन सब बातों को ध्यान रखा गया था. मैं यह नहीं कह सकता कि कोर्ट से भरोसा उठ गया लेकिन एक उम्मीद थी जो खत्म हो गई.
अनुच्छेद 370 पर फैसले की घोषणा समाप्त हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा के लिए चुनाव कराने के निर्देश जारी किए और कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने में तेजी लाई जाए.
बीजेपी नेता और पूर्व कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि मुझे इस बात की खुशी है कि अनुच्छेद 370 नामक सड़ी-गली बकवास को आज सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया है. यह बकवास पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को खुश करने के लिए डाली थी. संविधान सभा में प्रस्तावक गोपालस्वामी अयंगर के जरिए नेहरू इसे लेकर आए थे. बीआर अम्बेडकर ने प्रस्ताव लाने से इंकार कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नए परिसीमन के आधार पर जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव करवाएं जाएं. इस संबंध में केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया है. अदालत ने ये भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है. इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार की तरफ से उठाया गया फैसला बिल्कुल ठीक था.
चीफ जस्टिस ने कहा कि राष्ट्रपति के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश के बाद ही 370 पर कोई आदेश जारी करें. अनुच्छेद 370 को बेअसर कर नई व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई.
अनुच्छेद 370 पर फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस ने कहा है कि राज्य में युद्ध के हालातों की वजह से अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी. अनुच्छेद 370(3) के तहत राष्ट्रपति को यह अधिसूचना जारी करने की शक्ति है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो जाता है और जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी अनुच्छेद 370 अस्तित्व में रहेगा. संविधान सभा की सिफ़ारिश राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं थी. जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का उद्देश्य एक अस्थायी निकाय था.
चीफ जस्टिस ने कहा कि जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए थे, तभी जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई. वह भारत के तहत हो गया. साफ है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है. अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था है.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने उस दौरान राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर फैसला नहीं लिया है. स्थिति के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति को शक्तियां हासिल हैं. उसे चुनौती नहीं दी जा सकती है. संवैधानिक स्थिति यही है कि उनका उचित इस्तेमाल होना चाहिए. अनुच्छेद 356 - राज्य सरकार भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाने की बात करता है. राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र राज्य सरकार की जगह फैसले ले सकता है. संसद राज्य विधानसभा की जगह काम कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जिन तीन फैसलों को सुनाया जाना है, उस पर सभी एकमत हैं. अनुच्छेद 370 का स्थायी होना या न होना, उसे हटाने की प्रक्रिया का सही होना या गलत होना और राज्य को 2 हिस्सों में बांटना सही या गलत, ये मुख्य सवाल हैं, जिन पर फैसला सुनाया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जिन तीन फैसलों को सुनाया जाना है, उस पर सभी एकमत हैं. अनुच्छेद 370 का स्थायी होना या न होना, उसे हटाने की प्रक्रिया का सही होना या गलत होना और राज्य को 2 हिस्सों में बांटना सही या गलत, ये मुख्य सवाल हैं, जिन पर फैसला सुनाया जाएगा.
अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ फैसला सुनाने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ समेत पांच जज बैठ गए हैं. कुल मिलाकर तीन फैसले सुनाए जाएंगे. चीफ जस्टिस फिलहाल विचार किए गए मुख्य सवाल बता रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने आरोप लगाया कि घाटी के नेताओं को हाउस अरेस्ट किया गया है. महबूबा मुफ्ती के भी हाउस अरेस्ट किए जाने की बात सामने आई. हालांकि, अब पुलिस ने इन बातों को खारिज कर दिया है. श्रीनगर पुलिस ने कहा है कि किसी भी नेता को हाउस अरेस्ट नहीं किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिनों की सुनवाई के बाद पांच सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का बचाव करने वालों और केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ताओं हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि और अन्य की दलीलों को सुना था. याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बहस की थी.
अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ हो रही सुनवाई के लिए वकील पहुंच चुके हैं. सभी वकील अपनी-अपनी सीटों पर बैठ चुके हैं. अब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ का इंतजार किया जा रहा है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन की गतिविधियां संकेत दे रही हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश हित के खिलाफ हो सकता है. मुफ्ती ने कहा, शुक्रवार रात से हम देख रहे हैं कि विभिन्न दलों, विशेषकर पीडीपी के कार्यकर्ताओं के नाम वाली सूचियां थानों के माध्यम से ली जा रही हैं और ऐसा लगता है कि कोई ऐसा निर्णय आने वाला है जो इस देश और जम्मू-कश्मीर के पक्ष में न हो. बीजेपी के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए, कुछ एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
बीजेपी के जम्मू-कश्मीर यूनिट के प्रमुख रविंद्र रैना ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट या उसके फैसले पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए और उसके फैसले का पूरे देश को सम्मान करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने संबंधी केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को अपना निर्णय सुनाएगा. शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई 11 दिसंबर (सोमवार) की सूची के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी.
बैकग्राउंड
Article 370 Verdict Highlights: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए चार साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है. हालांकि, इसे निरस्त किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई सारी याचिकाएं दायर की गईं. सुप्रीम कोर्ट सोमवार (11 दिसंबर) को अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाने वाला है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ अपना फैसला सुनाएगी.
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की वजह से किसी भी तरह के तनाव और संभावित संघर्ष के लिए पूरे जम्मू-कश्मीर में तैयारी की जा रही है. पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है और सेना के जवान भी अलर्ट पर हैं. देशभर में राजनीतिक नेताओं की तरफ से इस मुद्दे पर बयानबाजी का सिलसिला भी जारी है. विपक्ष की तरफ से लगातार कोशिश की जा रही है कि जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से अनुच्छेद 370 की वापसी हो, जिसके जरिए केंद्रशासित प्रदेश को स्पेशल स्टेटस मिल पाए.
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का ऐलान किया था. इसके साथ ही राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था. इसके लिए सरकार की तरफ से 'जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून', 2019 लाया गया था, जिसे ही चुनौती दी गई है. जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद से अभी तक वहां पर विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं. हालांकि, हाल के दिनों में स्थानीय चुनाव जरूर हुए हैं.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 पर सुनवाई करने वाली पांच जजों की पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पांच सितंबर को इस मामले में अपना फैसला 11 दिसंबर के लिए सुरक्षित रख लिया था. देशभर की निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला होने वाला है. इस फैसले से जम्मू-कश्मीर के आगे का भविष्य भी तय होने वाला है.
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