(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'रजिस्ट्रेशन काफी नहीं, कितनों को मिलता है लाभ?' प्रवासी मजदूरों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब
Supreme Court: लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की हालत पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी. मंगलवार को इसी सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्यों से जवाब तलब किया है.
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत भोजन दिए जाने वाले प्रवासी श्रमिकों की संख्या और विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत अन्य लाभों के बारे में जानकारी मांगी हैं. सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को केंद्र और सभी राज्य सरकारों को इस बारे में निर्देश दिया है. अदालत को बताया गया कि देश भर में इस समय लगभग 38 लाख प्रवासी श्रमिक हैं जिसमें से 28 करोड़ केंद्र के ऑनलाइन पोर्टल ई-श्रम (e-Shram) पर पंजीकृत हैं.
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, "महज पंजीकरण पर्याप्त नहीं है". इसके साथ ही केंद्र और संबंधित राज्यों को इस बारे में जानकारी पेश करने को कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 28.55 करोड़ प्रवासी या असंगठित श्रमिकों में से कितने के पास राशन कार्ड है और एनएफएसए के तहत लाभ पाते हैं.
कोरोना के दौरान शुरू हुई थी सुनवाई
अदालत ने प्रवासी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं पर विचार करने के लिए कोविड-19 के दौरान एक याचिका पर सुनवाई शुरू की थी. कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घरों में लौटने को मजबूर हुए थे, क्योंकि उनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी.
मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने 20 फरवरी को अगली तारीख देते हुए सभी राज्यों को अगली तारीख पर उपस्थित रहने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह निर्देश सरकार की गलती खोजने के लिए नहीं बल्कि जनकल्याण की योजनाओं को उनके लाभार्थियों तक पहुंचाने को सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है.
डाटा किया जा रहा अपडेट- केंद्र
केंद्र की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या फाटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ई-श्रम डाटा को अपडेट किया जा रहा है. केंद्रीय योजनाओं के रोल आउट के बारे में भाटी ने कहा कि इसे संबंधित राज्यों द्वारा क्रियान्वयन किया जाना है.
इस पर पीठ ने कहा कि ये समृद्ध लोग नहीं हैं. उन्हें भोजन और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए. केंद्र और राज्यों को योजना को सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थियों को दरवाजे पर सुविधा दी जाए.
जून 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को राशन, सामुदायिक रसोई उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए थे. यहां तक कि अदालत को केंद्र की वन नेशन वन राशन कार्ड योजना के क्रियान्वयन में तेजी लाने का भी निर्देश दिया गया था.
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