बाबरी विध्वंस में बड़े नेताओं का मुकदमा कब पूरा होगा? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल
लखनऊ में मामले की सुनवाई कर रहे एस के यादव एडिशनल सेशन्स जज हैं. इस साल जून में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निचली अदालत के कई जजों का प्रमोशन किया.
नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद विध्वंस केस के आपराधिक मुकदमे की सुनवाई कब तक पूरी होगी? इसे तय समय सीमा में पूरा करने के लिए क्या किया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने ये सवाल मामले की सुनवाई कर रहे लखनऊ के विशेष जज से किया है.
बड़े नेताओं पर है मुकदमा सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 19 अप्रैल को बाबरी विध्वंस केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 14 नेताओं पर आपराधिक साज़िश की धारा बहाल कर दी थी. कोर्ट ने मामला 2 साल में निपटाने का आदेश दिया था. इसमें करीब 8 महीने का ही वक्त बचा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने जज से समय सीमा में मुकदमा पूरा करने पर ब्यौरा मांग लिया है.
जज ने प्रमोशन न होने का मसला उठाया था लखनऊ में मामले की सुनवाई कर रहे एस के यादव एडिशनल सेशन्स जज हैं. इस साल जून में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निचली अदालत के कई जजों का प्रमोशन किया. एस के यादव को भी बदायूं का जिला जज बनाने का आदेश जारी किया गया. लेकिन इसके तुरंत बाद हाई कोर्ट ने नोटिफिकेशन जारी कर उनका प्रमोशन रोक दिया. इसकी वजह थी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का वो हिस्सा जिसमें मुकदमा खत्म होने से पहले जज का ट्रांसफ़र न करने को कहा गया था.
विशेष जज का कहना था कि उन्होंने 28 साल तक पूरी ईमानदारी से काम किया है. अब 59 साल की उम्र में वो रिटायरमेंट की कगार पर हैं. उनके साथ के और बाद के लोग ज़िला जज बन चुके हैं. उन्हें भी इससे वंचित नहीं किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया जस्टिस रोहिंटन नरीमन और इंदु मल्होत्रा की बेंच ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान जज की तरफ से पेश वकील की बात को सहानुभूति पूर्वक सुना और याचिका पर यूपी सरकार और CBI को नोटिस जारी कर दिया. साथ ही जज से भी मुकदमे का ब्यौरा सीलबंद लिफाफे में देने को कह दिया. साफ है कि विशेष जज के अनुरोध पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट इस बात को लेकर भी फिक्रमंद है कि मुकदमा अप्रैल 2019 तक पूरा हो जाए.