Asaram Bapu Bail Petition: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दुष्कर्म (Rape) के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कथावाचक आसाराम बापू (Asaram Bapu) की जमानत याचिका पर गुजरात सरकार (Gujarat Government) से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आसाराम बापू द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है.
बता दें कि आसाराम बापू ने इस मामले में जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद सप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है. जिसमें आसाराम ने उनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक और उनके खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत याचिका दायर की है. इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने गुजरात सरकार से जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 सितंबर का दिन तय किया है. आसाराम दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
आसाराम बापू पर लगे कई गंभीर आरोप
गुजरात की उनकी एक पूर्व भक्त द्वारा आसाराम पर यौन शोषण (Rape) का आरोप लगाने के बाद से बलात्कार और अवैध कारावास के आरोपों का सामना कर रहा है. अपनी शिकायत में पीड़िता ने आसाराम पर अहमदाबाद (Ahmedabad) के मोटेरा में उनके आश्रम में रहने के दौरान साल 2001 से 2006 के बीच बार-बार यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था.
गुजरात हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार
गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) के आसाराम पर लगे बलात्कार के मामले की सुनवाई करते हुए 10 दिसंबर 2021 को अपना फैसला सुनाया, जिसमें अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद आसाराम ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. आसाराम ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि इस मुकदमे के निष्कर्ष पर पहुंचने के कोई संकेत नहीं है. बता दें कि राजस्थान की एक विशेष अदालत ने साल 2018 में आसाराम को अपने आश्रम में एक नाबालिग से बलात्कार करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं पर लगे ये आरोप
इसके अलावा, सूरत की दो सगी बहनों ने अहमदाबाद के मोटेरा इलाके में आसाराम के आश्रम में 1997 से 2006 के बीच रहने के दौरान आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं के खिलाफ अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उन दोनों बाप-बेटे पर सगी बहनों के साथ बलात्कार और अवैध रूप से बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया गया था. सूरत की अदालत ने 26 अप्रैल, 2019 को नारायण साईं को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (हमला करना), 506-2 (आपराधिक धमकी), और 120-बी (साजिश) के तहत दोषी करार दिया था. अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
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