SC ने कहा- आंतरिक सुरक्षा-राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए कश्मीर से धीरे-धीरे पाबंदियां हटाए सरकार
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में राज्य में लगी पाबंदियों का मसला उठाया गया था. कहा गया था कि राज्य में टेलीफोन, मोबाइल जैसी जरूरी सेवाएं बाधित हैं. कई इलाकों में धारा 144 लगी हैं. इससे लोगों को कहीं आने जाने में दिक्कत हो रही है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को लेकर आज आठ अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा है कि वह कश्मीर में जनजीवन सामान्य करने के लिए जल्द से जल्द सभी संभव कदम उठाए. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ,न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की एक पीठ ने कहा कि कश्मीर में अगर तथा-कथित बंद है तो उससे जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट निपट सकता है.
पत्रकारों को फोन और इंटरनेट की सुविधा दी गई- केन्द्र
वहीं केन्द्र ने पीठ को कहा कि कश्मीर स्थित सभी समाचार पत्र काम कर रहे हैं और सरकार हरसंभव मदद मुहैया करा रही है. प्रतिबंधित इलाकों में पहुंच के लिए मीडिया को ‘पास’ दिए गए हैं और पत्रकारों को फोन और इंटरनेट की सुविधा भी मुहैया कराई गई है.
केन्द्र सरकार के वकील. के. वेणुगोपाल ने कहा कि दूरदर्शन जैसे टीवी चैनल और अन्य निजी चैनल, एफएम नेटवर्क काम कर रहे हैं. केन्द्र ने कहा कि एक गोली भी नहीं चलाई गई और कुछ स्थानीय प्रतिबंध लगे हैं. कश्मीर संभाग के 88 प्रतिशत से अधिक थाना क्षेत्रों से प्रतिबंध हटा दिए गए हैं.
30 सितंबर को होगी मामले की अगली सुनवाई
पीठ ने अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से कहा कि इन हलफनामों का विवरण दें और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रयास किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में जनजीवन सामान्य करने, कल्याणकारी सुविधाओं तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने, स्कूल और कॉलेज खोले जाने को कहा है. पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए चयनात्मक आधार पर प्रतिबंध हटाए जाएंगे. इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी.
SC में उठाया गया राज्य में लगी पाबंदियों का मसला
बता दें कि कोर्ट में दायर याचिकाओं में राज्य में लगी पाबंदियों का मसला उठाया गया था. कहा गया था कि राज्य में टेलीफोन, मोबाइल जैसी जरूरी सेवाएं बाधित हैं. कई इलाकों में धारा 144 लगी हैं. इससे लोगों को कहीं आने जाने में दिक्कत हो रही है. पिछली सुनवाई में सरकार ने कोर्ट को बताया था कि प्रशासन और सुरक्षा बल वहां स्थितियां सुधारने में लगे हैं. हालात के मुताबिक एक-एक कर पाबंदियों को हटाया जा रहा है. ज़्यादातर इलाकों में टेलीफोन सेवा बहाल कर दी गई है और स्कूल खुले हैं.
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