Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (16 अप्रैल) को मॉब लिंचिंग के मामले पर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि लिंचिंग के मामलों को चुनिंदा तरीके से नहीं उठाया जा सकता है. अदालत ने स्पष्ट किया कि ये मामला सभी राज्यों से जुड़ा हुआ है, न कि किसी खास धर्म या किसी एक मामले से. मॉब लिंचिंग के मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने खासतौर पर राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल की हत्या के बारे में सवाल किया.
दरअसल, कन्हैया लाल की 2022 में पैगंबर मोहम्मद को लेकर एक सोशल मीडिया पोस्ट शेयर करने के आरोप में हत्या कर दी गई थी. कन्हैया की हत्या उनकी दुकान के भीतर ही चाकूओं से घोपकर हुई थी. इस मामले को लेकर काफी ज्यादा सियासत भी देखने को मिली. हालांकि, पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. कन्हैया की हत्या के बाद उदयपुर में तनाव फैल गया था, जिसे ठंडा होने में बहुत ज्यादा वक्त लग गया.
मॉब लिंचिंग पर राज्य सरकारों से मांगा गया जवाब
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ भीड़ के जरिए की जा रही हिंसा से जुड़ी एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने कहा कि सभी राज्य सरकारें छह हफ्ते में मॉब लिंचिंग और गौरक्षकों से जरिए होने वाली हिंसा पर की गई कार्रवाई की जानकारी अदालत को दें.
घटनाओं को किसी खास राज्य से नहीं चुना जा सकता: जस्टिस अरविंद कुमार
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वकील निजाम पाशा ने मध्य प्रदेश और हरियाणा में लिंचिंग के मामलों पर रोशनी डाली. इसके जवाब में, जस्टिस अरविंद कुमार ने पाशा से कहा कि याचिकाओं में बताई गई घटनाओं को किसी खास राज्यों में से नहीं चुना जाना चाहिए, बल्कि सभी घटनाओं का उल्लेख किया जाना चाहिए.
अदालत ने पूछा, "राजस्थान के उस टेलर के बारे में क्या...कन्हैया लाल...जिसकी लिंचिंग कर दी गई." वहीं जब वकील ने पीठ को बताया कि इस केस को वर्तमान याचिका में शामिल नहीं किया गया है तो कोर्ट ने कहा, "आपको ये सुनिश्चित करना होगा कि यदि सभी राज्य हैं, तो केस को लेकर सेलेक्टिव (चयनात्मक) नहीं हुआ जा सकता है."
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