जब फ्लाइट कैंसिल हो गई तो टिकट के पैसे क्यों नहीं लौटाए जा रहे? सुप्रीम कोर्ट का सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय को एक नोटिस जारी किया है. याचिका में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय सभी उड़ानों के टिकट देशव्यापी लॉकडाउन के कारण रद्द होने के कारण पूरी राशि वापस करने की मांग की गई है.
नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान रद्द की गई विमान सेवाओं के लिए टिकट के पूरे पैसे लौटाए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. याचिका में बताया गया था कि सरकार ने एयरलाइंस कंपनियों को सिर्फ लॉकडाउन के बाद बुक किए गए टिकट के पूरे पैसे लौटाने का आदेश दिया है. यह पैसे भी सीधे नहीं लौटाए जा रहे हैं. उन्हें क्रेडिट शेल में डाल दिया जा रहा है.
प्रवासी लीगल सेल नाम की संस्था की तरफ से दाखिल याचिका में सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि 23 मार्च को सभी विमान सेवाएं रद्द कर दी गई थीं. उससे पहले लाखों लोगों ने एयर टिकट बुक करवा रखे थे. लेकिन 16 अप्रैल को जारी DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) का आदेश सिर्फ लॉकडाउन की घोषणा के बाद बुक किए गए टिकट के पूरे पैसे लौटाने को कहता है. इस तरह जिन लोगों ने लॉकडाउन के एलान से पहले टिकट बुक किए थे, उनके साथ भेदभाव किया गया है.
दरअसल, DGCA के 16 अप्रैल के जिस आदेश को चुनौती दी गयी है, वह कहता है कि एयरलाइंस कंपनियां लॉकडाउन के एलान के बाद बुक टिकट के पूरे पैसे लौटाएं. उन पर किसी तरह का कैंसिलेशन चार्ज न काटें. इसमें लॉकडाउन से पहले टिकट खरीदने वाले लोगों का कोई ज़िक्र नहीं किया गया है. इस तरह कंपनियों को ऐसे लोगों से कैंसिलेशन चार्ज वसूलने की छूट दे दी गयी है.
याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एन वी रमना, संजय किशन कौल और बी आर गवई की बेंच ने DGCA के आदेश को पहली नज़र में मनमाना पाया. जस्टिस कौल ने कहा, “यह भेदभाव करने वाला आदेश है. अगर विमान सेवा रद्द हुई है तो सिर्फ कुछ लोगों को टिकट के पूरे पैसे कैसे लौटाए जा सकते हैं? सबको एक जैसी राहत मिलनी चाहिए.“ इस टिप्पणी के बाद कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय और DGCA को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया.
इस याचिका में यह भी बताया गया है कि एयरलाइंस कंपनियां लोगों के पैसे सीधे नहीं लौटा रही हैं. उसे क्रेडिट शेल में डाल दिया जा रहा है, जिसके बदले लोग 1 साल के भीतर उतने ही पैसों का टिकट दोबारा खरीद सकेंगे. DGCA की तरफ से पहले तय नियमों के मुताबिक यह यात्री पर निर्भर करता है कि वह अपने पैसे वापस लेना चाहता है या उसे क्रेडिट शेल में डलवाना चाहता है. विमान कंपनियां इस तरह से मनमानी नहीं कर सकतीं. लेकिन वह नियमों के खिलाफ ऐसा कर रही है और सरकार ने आंखें बंद कर रखी हैं. ऐसे में कोर्ट सरकार को आदेश दे कि वह विमान कंपनियों को तय नियमों के मुताबिक काम करने को कहे. उन्हें निर्देश दे कि वह यात्री की स्वीकृति के बिना उसके पैसों को क्रेडिट शेल में नहीं डाल सकती हैं.
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