नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोप में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को फंसाने की एक बड़ी साजिश के एक वकील के दावे के संबंध में सीबीआई, आईबी और दिल्ली पुलिस के प्रमुख को पेश होने के लिए कहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस से उनके चैम्बर में जाकर मिलने का निर्देश दिया.


जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरिमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की विशेष पीठ ने कहा कि सीबीआई और गुप्तचर ब्यूरो के निदेशकों और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के साथ वह एक ‘गोपनीय’ बैठक करेगा. यह कोई जांच नहीं है. हम इन अधिकारियों से गोपनीय मुलाकात कर रहे हैं. हम नहीं चाहते कि कोई भी साक्ष्य सार्वजनिक हो.’’


जस्टिस मिश्रा ने इस पूरे घटनाक्रम को ‘‘बहुत ही परेशान करने वाला’’ बताया. पीठ ने निर्देश दिया कि ये अधिकारी दोपहर साढ़े बारह बजे न्यायाधीशों के चैम्बर में मिलेंगे और इसके बाद तीन बजे इस मामले की आगे सुनवाई होगी.


अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस ने अपने दावे के समर्थन में सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी है. बैंस ने दावा किया है कि यौन उत्पीड़न के मामले में चीफ जस्टिस को फंसाने की साजिश की गयी है. उसका यह भी आरोप है कि ऐसे कुछ व्यक्ति हैं जो अनुरूप फैसलों की व्यवस्था करते हैं.


इससे पहले मंगलवार को CJI रंजन गोगोई पर पूर्व महिला कर्मचारी की तरफ से लगाए गए आरोपों की आंतरिक जांच के लिए 3 जजों की कमिटी गठित की गई थी। कमिटी में जस्टिस एस ए बोबडे, एन वी रमना और इंदिरा बनर्जी शामिल हैं. SC के मौजूदा जजों में जस्टिस बोबडे वरिष्ठता के हिसाब से दूसरे और रमना तीसरे नंबर के जज हैं.