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यौन उत्पीड़न की शिकायत के लिए अब तक ऑनलाइन व्यवस्था क्यों नहीं की गई? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा
SCWLA ने याचिका में ओला-उबर समेत परिवहन क्षेत्र से जुड़े लोगों को महिला सुरक्षा पर प्रशिक्षण देने, OTT पर अश्लील सामग्री रोकने जैसी मांगें की हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करवाने में महिलाओं को आने वाली दिक्कतों पर जताई चिंता
Source : ABP Live
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक ऐसी व्यवस्था बनाने पर विचार करने को कहा है जिसमें महिलाएं यौन उत्पीड़न की शिकायत ऑनलाइन दर्ज करवा सकें. कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में पुलिस स्टेशन तक जाने की बाध्यता खत्म होनी चाहिए. एक ऐसी केंद्रीय एजेंसी बनाई जाए जो ऑनलाइन शिकायतों को देखने के बाद उन्हें संबंधित थाने को भेज दे. कोर्ट ने सरकार को 6 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है.
महिला वकीलों के संगठन 'सुप्रीम कोर्ट वुमेन लॉयर्स एसोसिएशन' (SCWLA) ने सुप्रीम कोर्ट से पूरे देश के लिए महिलाओं की सुरक्षा पर गाइडलाइंस बनाने और कानूनों में सुधार की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की है. कोर्ट ने 16 दिसंबर 2024 को याचिका को विचार के लिए स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों को नोटिस जारी किया था.
SCWLA ने सुप्रीम कोर्ट में जो मांगें रखीं हैं, उनमें सार्वजनिक इमारतों और जगहों पर सीसीटीवी कैमरा लगाने, पोर्नोग्राफिक सामग्री पर रोक से लेकर रेप के दोषियों के बधियाकरण (प्रजनन अंग को अयोग्य बना देना) शामिल है. जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले पर नोटिस जारी करते हुए कहा था कि इसमें से कुछ मांगें क्रूर लग रही हैं. इस पर SCWLA की अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पवनी ने कहा था कि कोर्ट चाहे तो उन मांगों को छोड़ कर बाकी पर विचार कर सकता है.
सोमवार, 27 जनवरी को मामला एक बार फिर सुनवाई के लिए लगा. इस सुनवाई में वरिष्ठ वकील पवनी ने जजों का ध्यान बेंगलुरु के एक मामले की तरफ खींचा. उन्होंने कहा कि उबर के जरिए बुक ऑटोरिक्शा में महिला के साथ दुर्व्यवहार हुआ. उसकी शिकायत दर्ज करवाने के लिए महिला और उसके पति को कई थानों के चक्कर लगाने पड़े. जजों ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए.
केंद्र सरकार के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि याचिका में रखी गई मांगें काफी व्यापक हैं. इस पर बेंच के अध्यक्ष ने कहा, 'यह सही है, लेकिन इन तकनीकी बातों के चलते मुख्य विषय को अनदेखा नहीं कर सकते. याचिका में कई व्यवहारिक बातें भी उठाई गई हैं.' कोर्ट ने पूछा कि महिलाओं के लिए ऑनलाइन शिकायत की व्यवस्था अब तक क्यों नहीं बनाई गई है? कोर्ट ने केंद्र की वकील से इस विषय पर अलग-अलग मंत्रालयों की राय पूछ कर 6 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा.
SCWLA की याचिका में कुल 20 मांगें की गई हैं. इनमें वेरिफिकेशन के बाद ही सुरक्षा गार्ड नियुक्त करने, ओला-उबर समेत परिवहन क्षेत्र से जुड़े लोगों को महिला सुरक्षा पर प्रशिक्षण देने, OTT पर अश्लील सामग्री रोकने जैसी मांगें भी हैं. याचिका में कहा गया है कि बड़े शहरों में हुए कुछ अपराध तो चर्चा में आ जाते हैं, लेकिन छोटी जगहों पर होने वाले अपराध कालीन के नीचे छिपा दिए जाते हैं इसलिए, कोर्ट को कानूनों में और सुधार और महिला सुरक्षा व्यवस्था को मजबूती से लागू करने के लिए दिशानिर्देश तय करने पर विचार करना चाहिए.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
Opinion