नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह कोविड-19 टीकाकरण नीति पर अपनी सोच दर्शाने वाले प्रासंगिक दस्तावेज, फाइल नोटिंग रिकॉर्ड पर रखे. न्यायालय ने केंद्र से कहा कि कोविड-19 के समस्त टीकों की खरीद का ब्योरा देते हुए वह पूरे आंकड़े पेश करें.


सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से बताने को कहा कि क्या वह मुफ्त टीका लगा रहे हैं? म्यूकरमाइकोसिस के इलाज पर भी जानकारी देने कहा है. मामले पर सुनवाई 30 जून को होगी.


न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट की विशेष पीठ ने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार को दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं.’’ पीठ ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आदेश में प्रत्येक मुद्दे पर अलग-अलग जवाब दिया जाए.


पीठ ने कहा, ‘‘कोविड-19 के सभी टीकों (कोवैक्सीन, कोविशील्ड तथा स्पुतनिक वी) की खरीद पर आज तक के केंद्र सरकार के ब्योरे के संबंध में संपूर्ण आंकड़े. आंकड़ों में स्पष्ट होना चाहिए: (क) केंद्र सरकार द्वारा तीनों टीकों की खरीद के लिए दिये गये सभी ऑर्डर की तारीखें, (ख) हर तारीख पर कितनी मात्रा में टीकों का ऑर्डर दिया गया, उसका ब्योरा और (ग) आपूर्ति की प्रस्तावित तारीख.’’ शीर्ष अदालत ने कोविड-19 के प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान लिये गये एक मामले में यह आदेश दिया है.


इससे पहले 31 मई को कोविड टीकाकरण नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि केंद्र यह न समझे कि सिर्फ उसे ही पता है कि सही क्या है?


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, एल नागेश्वर राव और एस रविंद्र भट्ट की बेंच ने कहा था, "45 साल से अधिक आयु के लोगों के स्वास्थ्य को ज्यादा खतरा मानते हुए केंद्र ने वैक्सीन दी. क्या 18 से 44 की उम्र में ऐसे लोग नहीं हैं, जिन्हें कोरोना से अधिक खतरा हो?" 


कोर्ट ने आगे कहा, "राज्यों को आपस में ही वैक्सिंग के लिए भिड़ने को छोड़ दिया गया है. केंद्र ने इस बात तक पर पर भी विचार नहीं किया कि महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य और उत्तर-पूर्व के किसी राज्य की आर्थिक स्थिति में कितना अंतर है? देश के कई राज्यों का बजट तो बृहन्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) से भी कम है.