Supreme Court On Electoral Bond: चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (15 फरवरी) को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया. साथ ही इसे रद्द करने का आदेश भी दिया. वहीं, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को चुनावी बांड जारी करना तुरंत बंद करने और 6 मार्च तक चुनाव आयोग को सभी विवरण जमा करने का निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “एसबीआई 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बांड का विवरण चुनाव आयोग को सौंपेगा.” सूचना प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर चुनाव पैनल सभी दान को सार्वजनिक कर देगा. दरअसल, चुनावी बॉन्ड का इस्तेमाल करके कोई भी शख्स या कंपनी किसी भी राजनीतिक दल को चंदा देने या फिर आर्थिक मदद के लिए किया जाता है. बाद में राजनीतिक दल बदले में धन और दान के लिए इसे भुना सकते हैं.
कितने चुनावी बॉन्ड बेचे गए?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल एसबीआई ने एक आरटीआई अनुरोध के जवाब में कहा था कि 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत के बाद से 29 किश्तों में 15,956.3096 करोड़ रुपये के 27,133 या 55.9 प्रतिशत मुद्रित चुनावी बांड बेचे गए थे. 2019 और 2022 के बीच नासिक की इंडिया सिक्योरिटी प्रेस ने 28,531.5 करोड़ रुपये की कीमत के कम से कम 674,250 चुनावी बॉन्ड प्रिंट किए.
चुनावी बॉन्ड स्कीम में गोपनीय रहता है डोनर का नाम
इस चुनावी बॉन्च स्कीम के तहत किए गए दान पर एक तो सौ प्रतिशत टैक्स में छूट का लाभ मिलता है, दूसरा डोनर की पहचान बैंक और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दलों दोनों की ओर से गोपनीय रखी जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि इसे रद्द करना होगा. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड स्कीम की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया.
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