Supreme Court On Lottery Tax: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- लॉटरी पर केंद्र सरकार नहीं वसूल सकती टैक्स
Supreme Court On Lottery Tax: सुप्रीम कोर्ट ने सिक्किम HC के फैसले को बरकरार रखते हुए साफ किया कि लॉटरी पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल राज्य सरकार के पास है, न कि केंद्र सरकार के पास.

Supreme Court On Lottery Tax: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (11 फरवरी, 2025) को अपने एक बड़े फैसले में साफ किया कि लॉटरी पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल राज्य सरकारों का होगा. केंद्र सरकार को इस पर कर लगाने का कोई अधिकार नहीं होगा.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस फैसले को सुनाते हुए केंद्र सरकार के लॉटरी डिस्ट्रीब्यूटर्स पर सर्विस टैक्स लगाने के प्रयास को असंवैधानिक घोषित कर दिया. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान के राज्य सूची के एंट्री 62 के अंतर्गत “सट्टेबाजी और जुआ” के रूप में लॉटरी पूरी तरह से राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आती है.
केंद्र सरकार ने क्या तर्क दिया?
केंद्र सरकार ने यह तर्क दिया कि लॉटरी के वितरण और मार्केटिंग में शामिल कंपनियों पर सर्विस टैक्स लगाया जाना चाहिए. सरकार ने इसे वित्त अधिनियम (Finance Act) के तहत “सेवा” (Service) मानकर कर योग्य घोषित करने की दलील दी थी.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और लॉटरी डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच का संबंध "प्रिंसिपल से प्रिंसिपल" का है, न कि "प्रिंसिपल से एजेंट" का. इसलिए, इस पर सेवा कर (Service Tax) नहीं लगाया जा सकता.
पहले भी हुई थी केंद्र सरकार की कोशिशें
केंद्र सरकार ने 1994, 2010 और 2015 में वित्त अधिनियम में संशोधन कर लॉटरी से जुड़े कार्यों को कर के दायरे में लाने की कोशिश की. इन संशोधनों के तहत लॉटरी वितरण को "व्यावसायिक सहायक सेवाओं" (Business Auxiliary Services) के रूप में वर्गीकृत किया गया था. 2012 से 2015 के बीच सिक्किम हाईकोर्ट ने इन संशोधनों को असंवैधानिक करार दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और केंद्र सरकार की अपील को खारिज कर दिया.
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला केंद्र सरकार द्वारा Future Gaming & Hotel Services और Summit Online Trade Solutions जैसी कंपनियों के खिलाफ दायर अपीलों से जुड़ा था. इन कंपनियों को पहले हाईकोर्ट से राहत मिली थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के इस निर्णय को वैध ठहराया है.
भारत में लॉटरी पर राज्यों का अलग-अलग रुख
कुछ राज्य जैसे केरल, सिक्किम, नागालैंड और पश्चिम बंगाल लॉटरी की अनुमति देते हैं और इससे राजस्व बढ़ाते हैं. वहीं, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में लॉटरी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है. संविधान की राज्य सूची के एंट्री 34 के तहत “सट्टेबाजी और जुआ” पूरी तरह से राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है. इसलिए, किसी भी राज्य को यह तय करने का पूर्ण अधिकार है कि वह लॉटरी की अनुमति देगा या नहीं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला स्पष्ट करता है कि लॉटरी पर कर लगाने का एकमात्र अधिकार राज्य सरकारों का होगा. केंद्र सरकार लॉटरी डिस्ट्रीब्यूटर्स पर सर्विस टैक्स नहीं लगा सकती. यह निर्णय उन राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है जो लॉटरी के जरिए राजस्व कमाते हैं.
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