Supreme Court: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को शुक्रवार (7 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सिंधिया के राज्यसभा निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया. याचिका में मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ 2018 में भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में एक केस दर्ज हुआ था, लेकिन उन्होंने राज्यसभा चुनाव का नामांकन भरते समय इसकी जानकारी नहीं दी थी.


कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने सिंधिया की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने को लेकर याचिका दायर की थी. गोविंद सिंह की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.


गोविंद सिंह ने क्यों दायर की थी याचिका?
कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने दावा किया था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यसभा चुनाव के नामांकन के दौरान अपने नामांकन पत्र में जानकारी छिपाई थी. इस बाबत उन्होंने पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सिंधिया का नामांकन रद्द करने की मांग की थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी थी.


इसके बाद कांग्रेस नेता ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका में भी गोविंद सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का राज्यसभा नामांकन रद्द करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई से इनकार करने के बाद अब ये मामला खत्म हो गया है.


2020 में राज्यसभा सांसद बने थे सिंधिया
2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट के विधायकों ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार से बगावत कर दी थी. इस दौरान कई विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. ये तमाम विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसके कुछ समय बाद ही सिंधिया ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया. बीजेपी ने उन्हें 2020 में मध्य प्रदेश से ही राज्यसभा सांसद के तौर पर नामित किया. कुछ समय बाद उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में नागरिक उड्डयन दिया गया.


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