'समस्या पैरेंट्स की, कोचिंग संस्थानों की नहीं', छात्रों के सुसाइड पर कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कहा?
SC: मुंबई निवासी डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण सुप्रीम कोर्ट में छात्रों की आत्महत्या को लेकर एक जनहिता याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सुसाइड अभिभावकों के कारण हो रहे हैं.
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Supreme Court: छात्रों के बीच बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के माता-पिता के जिम्मेदार ठहराया. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (20 नवंबर) को कहा कि छात्रों के बीच बढ़ती आत्महत्याओं के लिए कोचिंग सेंटर्स को दोषी ठहराना उचित नहीं है, क्योंकि माता-पिता की उम्मीदें बच्चों को जान देने के लिए प्रेरित कर रही हैं.
कोर्ट ने यह टिप्पणी मुख्य रूप से राजस्थान के कोटा में छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं को लेकर की है. गौरतलब है कि इस वर्ष राजस्थान के कोटा जिले में लगभग 24 आत्महत्याओं की सूचना मिली है.
'समस्या अभिभावकों की है'
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली दो सदस्य पीठ ने प्राइवेट कोचिंग सेंटर को रेगुलेट करने और उनके लिए एक स्टैंडर्ड तय करने के लिए कानून बनाने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, "समस्या अभिभावकों की है, कोचिंग संस्थानों की नहीं."
पीठ में शामिल जस्टिस एसवीएन भट्टी ने कहा कि यह आत्महत्याएं कोचिंग इंस्टिट्यूट की वजह से नहीं हो रही है, बल्कि इसलिए हो रही हैं, क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाते.
'छात्रों को मौत के मुंह में धकेल देते हैं कोचिंग सेंटर'
बता दें कि अदालत मुंबई के डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में कहा गया है कि कोचिंग सेंटर छात्रों को अपने फायदे के लिए तैयार करके मौत के मुंह में धकेल देते हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण की ओर से पेश हुईं अधिवक्ता मोहिनी प्रिया ने कहा कि कोटा में आत्महत्याओं ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन यह घटना सभी निजी कोचिंग सेंटर के लिए आम हैं और ऐसा कोई कानून या रेगुलेशन नहीं है, जिसके इसके लिए जवाबदेह ठहराए जाए .
'माता-पिता को बच्चों से होती हैं उम्मीदें'
पीठ ने कहा, ''हममें से ज्यादातर लोग कोचिंग संस्थान नहीं चाहते, लेकिन आजकल परीक्षाएं इतनी प्रतिस्पर्धात्मक हो गई हैं और छात्र आधे या एक नंबर से परीक्षा में फेल हो जाते हैं. वहीं, माता-पिता को भी बच्चों से काफी उम्मीदें रहती हैं."
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिया सुझाव
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि वह मामले में या तो राजस्थान हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाए क्योंकि याचिका में जिन आत्महत्याओं की घटनाएं का जिक्र है, उनमें अधिकतर कोटा से संबंधित हैं या फिर केंद्र सरकार को एक रिप्रेजेंटेशन दे हम इस मुद्दे पर कानून कैसे बना सकते हैं. इस पर वकील प्रिया ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी और संकेत दिया कि याचिकाकर्ता एक रिप्रेजेंटेशन पेश करना चाहेगा.
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