Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक शोभायात्राओं के लिए नियम बनाने की मांग ठुकरा दी है. एनजीओ सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा, कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है. हर शहर और राज्य में सक्षम अधिकारी हैं, जो अपना काम कर रहे हैं. हर मामले में सुप्रीम कोर्ट को खींचना सही नहीं है.
एनजीओ की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील सी यू सिंह का कहना था, धार्मिक यात्राओं में लोग तलवार, जैसे हथियार के साथ आते हैं. त्योहारों के मौके पर उकसाने वाले नारे लगाए जाते हैं. ऐसा पूरे देश मे हो रहा है. सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही इस पर कदम उठा सकता है.
हर जगह अलग मुद्दे हैं
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने याचिका पर विचार करने से मना कर दिया. चीफ जस्टिस ने कहा, "कश्मीर से कन्याकुमारी तक, हर जगह अलग स्थितियां और अलग मुद्दे हैं. आप चाहते हैं कि हर राज्य पर सुप्रीम कोर्ट निगरानी करे. ऐसा नहीं हो सकता. हर जगह सक्षम अधिकारी हैं, जो अपना काम करते हैं." चीफ जस्टिस ने कहा, "धार्मिक उत्सव को दंगों का मौका बताने की कोशिश सही नहीं है." महाराष्ट्र में गणपति उत्सव का हवाला देते हुए कहा कि वहां लाखों लोग जुटते हैं और कोई दंगा नहीं होता.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की
जजों की बेंच का रुख देखते हुए वरिष्ठ वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, ताकि वह दूसरे कानूनी विकल्प अपना सकें, लेकिन जजों ने इससे मना कर दिया. उन्होंने कहा, "इस तरह की मांग को वापस लेने की इजाज़त नहीं दी जा सकती. आपकी याचिका खारिज की जा रही है." एनजीओ सिटीजन फ़ॉर जस्टिस एंड पीस का मुख्यालय मुंबई में है. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ इसकी सचिव हैं. गीतकार जावेद अख्तर, विज्ञापन की दुनिया की चर्चित हस्ती एलेक पद्मसी समेत कई जाने-माने लोग इसके निदेशकों में शामिल हैं.
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