Supreme Court Latest News: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यानी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा कि संविधान असमानता को रोकने के लिए एक ‘शक्तिशाली औजार’ है और यह ऐसी संस्थाओं का निर्माण करता है जो असमानता से रक्षा करती हैं.


सीजेआई ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के 13वें दीक्षांत समारोह और स्थापना दिवस पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान इन संस्थाओं के अंदर नियंत्रण और संतुलन का प्रावधान करते हुए देश के नागरिकों के लिए संस्थागत प्राथमिकताएं और दायित्वों का भी निर्धारण करता है. उन्होंने कार्यक्रम में शामिल स्टूडेंट्स से अपने आसपास की दुनिया में अन्याय को उसके सभी पहलुओं से समझने का आह्वान किया.


'अन्याय को समझने के लिए करूणा की दृष्टि की जरूरत'


सीजेआई ने कहा, ‘‘संविधान ऐसी असमानता को रोकने के लिए एक शक्तिशाली औजार है. यह ऐसी संस्थाओं और संरचनाओं का निर्माण करता है जो स्पष्ट या अदृश्य असमानता से रक्षा करती हैं. आज हमारे समाज के लिए खतरा शोरगुल है और हमें स्वच्छंद जुनून के बीच तर्क की आवाज की जरूरत है.’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वास्तव में न्याय का अर्थ अलग-अलग संदर्भों में अलग-अलग होता है और अपने आसपास हो रहे अन्याय को जानने-समझने के लिए करूणा की दृष्टि की आवश्यकता होती है.


'संविधान की दीर्घायु निर्माताओं की बुद्धिमत्ता को दर्शाती है'


सीजेआई ने आगे कहा कि हम अपने लोकतंत्र में एक चीज को निश्चित मानते हैं, वह है हमारे नागरिक जीवन को हमारे संविधान की ओर से प्रदान की गई स्थिरता. उन्होंने कहा कि संविधान की दीर्घायु हमारे निर्माताओं की बुद्धिमत्ता को दर्शाती है, जो संविधान को कठोर मानक और इस प्रकार एक भंगुर दस्तावेज बनाए बिना इसमें आधारभूत तत्वों को शामिल करने के लिए पर्याप्त दूरदर्शी थे.


'संविधान हमारे लोकतंत्र के लिए मजबूत आधार'


डीवाई चंद्रचूडड़ ने कहा कि संविधान हमारे लोकतंत्र के लिए एक मजबूत आधार होने के साथ-साथ पर्याप्त रूप से लचीला भी है. उदाहरण के लिए हम समझ सकते हैं कि असमानता अन्यायपूर्ण है, लेकिन समानता के बारे में हमारे अलग-अलग विचार हो सकते हैं. क्या व्यवहार की समानता हमेशा समानता को बढ़ावा देती है या कभी-कभी यह हमें और दूर कर देती है? क्या कानून केवल प्रकट असमानता या सुरक्षात्मक भेदभाव और गैर-हस्तक्षेप के आवरण में छिपी असमानता को लक्षित करता है?


'समाधान, मुद्दों की तरह ही सूक्ष्म हैं'


सीजेआई ने कहा कि मुख्य बात यह है कि हम कई जटिल असमानताओं के बीच रहते हैं और इनमें से कुछ समस्याओं के लिए कोई सीधा-सादा या सख्त कानूनी समाधान नहीं है. समाधान, मुद्दों की तरह ही सूक्ष्म हैं. उन्हें एक दयालु, ईमानदार पेशेवर समाधान की आवश्यकता है, जिसे आप सभी अब तैयार करने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सामाजिक व्यवस्था सभी मामलों में सही नहीं है और कभी-कभी हमारी वर्तमान समस्याएं अंतर्निहित खामियों के साथ बढ़ सकती हैं. 


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