Supreme Court Briefs: सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे की फाइल के बगैर पेश होने पर शुक्रवार (18 नवंबर) को एक वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि ब्रीफ यानी सारपत्र के बिना वकील वैसे ही होता है, जैसे बिना बल्ले के सचिन तेंदुलकर. 


भारत के मुख्य न्यायाधीश ( CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने इस बात का संज्ञान लिया कि एक वकील मुकदमे की फाइल के बिना पेश हो रहा है और इस चूक के लिए बेंच ने उसे तुरंत फटकार लगाई. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘बिना सारपत्र (ब्रीफ) वाला वकील वैसे ही होता है, जैसे बिना बल्ले के सचिन तेंदुलकर. ये खराब लगता है.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘आप अपने गाउन और बैंड (कॉलर) में हैं, लेकिन आपके पास कोई कागजात नहीं है. आपके पास हमेशा सारपत्र (ब्रीफ) होना चाहिए.’’


क्या सलाह दी


सीजेआई ने कहा कि यह अनुचित है कि आपने अपने पास बगैर कोई पेपर रखे ही बैंड और गाउन पहन रखा है. साथ ही सलाह दी कि आपको हमेश अपना ब्रीफ अपने पास रखना चाहिए. इसके जब भी कोर्ट में पेश हों तो मामले की फाइलों को हमेशा पढ़िए. 


हर रोज इतनी सुनवाई


सीजेआई ने शुक्रवार (18 नवंबर) को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पूर्ण अदालती बैठक (फुल कोर्ट मीटिंग) में फैसला किया है कि इसकी सभी 13 बेंच लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए वैवाहिक विवादों से संबंधित 10 स्थानांतरण याचिकाओं और इतनी ही जमानत याचिकाओं पर प्रतिदिन सुनवाई करेंगी. कार्यवाही की शुरुआत में बेंच ने कहा कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों की बैठक में लिया गया है.


सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘अदालत की पूर्ण बैठक के बाद, हमने फैसला किया है कि शीतकालीन अवकाश से पहले ऐसे सभी मामलों को निपटाने के लिए प्रत्येक बेंच प्रतिदिन 10 स्थानांतरण याचिकाएं लेगी, जो पारिवारिक मामले हैं, इसके बाद हर दिन 10 जमानत के केस लिए जाएंगे.’’


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