सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (13 सितंबर, 2024) को कहा कि वह सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और सरकारी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने के लिए कई जातियों, ज्यादातर मुस्लिम समूहों का ओबीसी दर्जा रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई की तारीख पहले करने पर विचार करेगा.


अभी तय कार्यक्रम के अनुसार सप्रीम कोर्ट को अपील पर 30 सितंबर को सुनवाई करनी है. तृणमूल कांग्रेस नीत राज्य सरकार समेत वादियों ने सुनवाई की तारीख पहले करने की अपील की है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सीनियर एडवोकेट एन के कौल ने कहा कि 77 समुदायों को ‘आरक्षण से बाहर’ कर दिया गया है. इस फैसले के कारण उनसे संबंधित प्रवेश प्रक्रिया प्रभावित हो रही है.


सीजेआई चंद्रचूड़ ने एडवोकेट कौल से कहा, ‘मैं दोपहर के बाद आदेश सुनाऊंगा.’ सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 5 अगस्त को राज्य सरकार से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की सूची में शामिल की गई नई जातियों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व पर मात्रात्मक आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा था.


हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर निजी वादियों को नोटिस जारी करते हुए बेंच ने प्राधिकारियों से हलफनामा दाखिल कर जातियों, खासकर मुस्लिम समूहों को ओबीसी सूची में शामिल करने से पहले उसके और राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा किए गए परामर्श (यदि कोई हो) का ब्यौरा देने को कहा था.


हाई कोर्ट ने 22 मई को पश्चिम बंगाल में कई जातियों को 2010 से दिया गया ओबीसी का दर्जा रद्द कर दिया था. सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों औऱ सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में उनके लिए आरक्षण को अवैध करार दिया था.


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