CJI DY Chandrachud: जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए शनिवार (31 अगस्त 2024) को भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवीई चंद्रचुड़ ने जिला अदालतों के संदर्भ में अपनी बातें रखी. इस दौरान वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. पीएम मोदी ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति में जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित भी किया. सीजेआई ने यहां अपनी बात रखते हुए कहा कि डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी न्यायपालिका की रीढ़ होती है और इन्हें कमतर आंकना बंद करना चाहिए.


हमारा भी वजूद है- सीजेआई


चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों को पता चलना चाहिए कि हमारा भी वजूद है. सीजेआई ने यह बात जिला कोर्ट में पेंडिंग पड़े केस को लेकर कहा. सीजेआई ने आम लोगों की समस्याओं पर बात करते हुए वे ऊपरी अदालतों तक नहीं पहुंच पाते हैं इसलिए उन्हें निचली अदालत में न्याय मिल सके ऐसा व्यवस्था हो. नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड डेटा के अनुसार 1 सितंबर 2024 तक देश में 4 करोड़ से ज्यादा केस लंबित हैं, जिसमें से अधिकतर पिछले एक साल के हैं.


लोग क्यों नहीं पहुंच पाते ऊपरी अदालत


चीफ जस्टिस ने कहा कि आम लोगों के ऊपरी अदालतों तक नहीं पहुंच पाने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें कानूनी प्रतिनिधित्व का खर्च उठाने में असमर्थ, अपने अधिकारों के बारे में जागरूकता की कमी शामिल है. सीजेआई ने कहा, "लोगों का हम पर विश्वास है या नहीं... यह समाज के प्रति हमारी जवाबदेही की भी परीक्षा है. इसलिए जिला न्यायपालिका से बड़ी जिम्मेदारी उठाने की अपेक्षा की जाती है. हमें जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ न्यायपालिका कहना बंद करना होगा."


सीजेआई ने कहा, "पेशेवर होने के बावजूद जज वास्तविकता से प्रभावित होते हैं. इसके परिणामस्वरूप उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. यह पहलू बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन दुर्भाग्य से इस पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता, जितना दिया जाना चाहिए." चीफ जस्टिस ने कहा कि जिला अदालतों के परिसरों में 970 ई-सेवा केन्द्र पूरी तरह कार्यरत हैं, जबकि हाई कोर्ट के परिसरों में 27 ई-सेवा केन्द्र कार्यरत हैं.


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