नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य बनाने की कोशिश करेगी. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि ऐसा करते वक्त सुरक्षा से जुड़े पहलुओं को ध्यान में रखा जाए. कोर्ट ने कहा, "सरकार धीरे-धीरे राज्य में लगाई गई पाबंदियों को हटाने का प्रयास करे. लेकिन ऐसा करते समय राष्ट्रीय हित और आंतरिक सुरक्षा का ध्यान रखा जाए."


सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जम्मू-कश्मीर के हालात पर दाखिल 8 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मामले पर जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी.


आजाद को मिली इजाजत


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को सुप्रीम कोर्ट ने आज जम्मू-कश्मीर जाने की इजाज़त दी. आजाद की तरफ से कहा गया था कि वह मानवीय आधार पर अपने गृह राज्य में जाना चाहते हैं. उनका मकसद लोगों से मिलना और उनकी मदद करना है. वह वहां कोई भी राजनीतिक गतिविधि नहीं करेंगे. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने राजनीतिक गतिविधि न करने की उनकी बात को नोट किया. इसके बाद उन्हें श्रीनगर, अनंतनाग, बारामूला और जम्मू जाने की इजाजत दे दी.


तारिगामी को वापस भेजा


सीपीएम नेता युसूफ तारिगामी को सुप्रीम कोर्ट ने वापस जम्मू-कश्मीर जाने को कहा है. तारिगामी को उनकी पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी की याचिका के आधार पर इलाज के लिए दिल्ली के एम्स लाया गया था. आज कोर्ट को बताया गया कि उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. एक महीने बाद दोबारा स्वास्थ्य जांच के कहा गया है.


स पर कोर्ट ने पूछा, "जब आप हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो चुके हैं तो दिल्ली के जम्मू-कश्मीर गेस्ट हाउस में क्या कर रहे हैं? वापस क्यों नहीं लौटे?" वकील ने कहा कि वहां जाते ही उनके ऊपर कई पाबंदियां लग जाएंगी. आने-जाने, लोगों से मिलने पर रोक होगी. कोर्ट ने इन बातों पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया. कहा, "तारिगामी को इलाज के लिए दिल्ली लाया गया था. अब वह वापस लौट जाएं."


फारुख की हिरासत पर जवाब मांगा


तमिलनाडु की पार्टी एमडीएमके के नेता वाइको ने फारुख अब्दुल्ला को अपना मित्र बताते हुए एक याचिका दाखिल की है. वाइको के वकील ने कहा, "अब्दुल्ला से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है. हम नहीं जानते कि वह कहां हैं. उन्हें हिरासत में रखा गया है या नहीं." सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता का फारुख अब्दुल्ला से कोई संबंध नहीं है. लेकिन कोर्ट ने कहा कि सरकार वाइको की याचिका पर 30 सितंबर तक जवाब दे.


हर कोई शांति चाहता है


सुनवाई के दौरान एक वकील ने कहा कि कश्मीर के लोग शांति से जीना चाहते हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "सिर्फ कश्मीर के लोग क्यों, सब यही चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट में यहां मौजूद हममें से हर कोई यही चाहता है."


एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, "राज्य में लगी पाबंदियों को बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है. 5 अगस्त के बाद से वहां एक गोली नहीं चली है. तब से 15 सितंबर तक साढ़े 10 लाख लोगों को हॉस्पिटल में ओपीडी सुविधा मिली है. हज़ारों लोगों की सर्जरी हुई है. दवाओं और राशन का पर्याप्त स्टॉक है."


इंटरनेट न होने और पत्रकारों को रोके जाने की दलील पर वेणुगोपाल ने कहा, "राज्य में टेलीफोन सेवा पूरी तरह से बहाल है. कई हिस्सों में इंटरनेट सेवा भी है. पत्रकारों को काम करने के लिए विशेष सुविधा दी जा रही है. मीडिया सेंटर बनाए गए हैं. उनमें मोबाइल और इंटरनेट सुविधा है. पत्रकारों को आने-जाने के पास दिए जा रहे हैं. उनकी गाड़ी को नहीं रोका जा रहा है." कोर्ट ने कहा कि सरकार इन सभी बातों का ब्यौरा देते हुए हलफनामा दाखिल कर दे.


"ज़रूरत पड़ी तो खुद जाऊंगा"


कोर्ट में 2 बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की अर्ज़ी पर भी सुनवाई हुई. इनाक्षी गांगुली और शांता सिंह के वकील ने कहा कि राज्य में नाबालिगों को भी हिरासत में रखा जा रहा है. बेंच ने उनसे पूछा कि उन्होंने हाई कोर्ट में यह बात क्यों नहीं रखी. वकील का जवाब था कि हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर पाना मुश्किल है.


न्यायपालिका के मुखिया का दर्जा रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस वकील के इस बयान पर हैरान हो गए. उन्होंने कहा, "क्या सचमुच ऐसा है कि लोग हाई कोर्ट में याचिका दाखिल नहीं कर पा रहे? मैं वहां के चीफ जस्टिस से रिपोर्ट मांग रहा हूँ. उनसे फोन पर बात भी करूंगा. ज़रूरत पड़ी तो खुद जाऊंगा." हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर वकील का यह दावा झूठा निकला तो उन्हें इसका परिणाम झेलना होगा.


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