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शांति, पैराशूट... खाने और बालों के लिए एक ही कोकोनट ऑयल या अलग-अलग? सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया जवाब

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के तहत एडिबल ऑयल पर 5 फीसदी और कोकोनट हेयर ऑयल पर 18 फीसदी टैरिफ लगता है. साल 2019 में जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस भानुमति की बेंच ने इस मामले में स्पलिट वर्डिक्ट दिया था.

शुद्ध कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल सिर्फ खाने के लिए किया जाना चाहिए या सिर में लगाने के लिए किया जाए? सुप्रीम कोर्ट ने सालों पुराने इस विवाद को सुलझा दिया है. यह मसला एक्साइज ड्यूटी से जुड़ा है. दरअसल देश के कई हिस्सों में नारियल तेल का दोहरा इस्तेमाल होता है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 दिसंबर, 2024) को इस पर साफ कर दिया है कि जिस तरह कंपनियां अपने तेल को ब्रांड करके बेचेंगी उसी आधार पर उसको वर्गीकृत किया जाएगा और फूड सेफ्टी रेगुलेशन और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत उस पर टैक्स लिया जाएगा. कोर्ट ने कंपनियों को यह भी साफ किया कि सिर्फ बाल लहराते हुए एक्ट्रेस की फोटो लगा देना ये बताने के लिए काफी नहीं है कि यह हेयर ऑयल है या एडिबल ऑयल.

आबकारी विभाग और मेन्यूफेक्चर्स के बीच तेल पर टैक्स को लेकर सालों से विवाद चल रहा है क्योंकि दोनों पर टैक्स अलग-अलग लगता है इसलिए उनका वर्गीकरण कैसे किया जाए इसे लेकर विवाद था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि छोटी बोतलों में बिकने वाले कोकोनट ऑयल को टैक्स के उद्देश्य से खाने के तेल के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए. हालांकि, अगर छोटी बोतल में बिकने वाले तेल को हेयर ऑयल के तौर पर लेबल किया गया है तो उसको सेंट्रल एक्साइज टैरिफ एक्ट, 1985 के तहत हेयर ऑयल में वर्गीकृत किया जाएगा. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के तहत फिलहाल खाने वाले ऑयल पर 5 पर्सेंट और कोकोनट हेयर ऑयल पर 18 फीसदी टैरिफ लगता है.  

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कहा कि तेल का वर्गीकरण उसकी पैकेजिंग और इस्तेमाल पर किया जाएगा. अगर कोकोनट ऑयल खाने के लिए बेचा जा रहा है तो उसे फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्ट एक्ट, 2006 के मानदंडों को पूरा करना होगा और उसकी पैकेजिंग एडिबल-ग्रेड प्लास्टिक कंटेनर में होनी चाहिए. 

यह सुनवाई एक्साइज डिपार्टमेंट की याचिका पर हो रही थी, जिसने साल 2009 के फैसले को चुनौती दी थी. उस वक्त कस्टम, एक्साइज और सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (Cestat) ने फैसला किया था कि छोटे पैकेजिंट कोकोनट ऑयल  को सेंट्रल एक्साइज टैरिफ एक्ट, 1985 के तहत एडिबल ऑयल के तौर पर वर्गीकृत किया जाएगा. हालांकि, सेंट्रल एक्साइज कमिश्नर का फैसला Cestat से अलग था, जिससे दो मेन्यूफेक्चर्स को आपत्ति थी.

पहला मदन एग्रो इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, जो शांति ब्रांड के तहत 2 लीटर की पैकेजिंग में 100 पर्सेंट शुद्ध कोकोनट ऑयल बेचती है. दूसरा ग्रुप मेरिको से बल्क में कोकोनट ऑयल लेता है और इसकी 500 एमएल में पैकेजिंग करके दोबारा मेरिको को भेजता है. रेवेन्यू विभाग ने Cestat के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कोर्ट में कहा कि हेयर ऑयल पर भी टैक्स लगाया जाना. मेरिकों पैराशूट कोकोनट ऑयल बेचती है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'शांति कोकोनट ऑयल की पैकेजिंग पर बाल लहराते हुए और मशहूर फिल्म एक्ट्रेस की तस्वीर है. इस तरह की मार्केटिंग को लेकर तर्क दिया गया कि विज्ञापन से साफ है कि यह तेल बालों के लिए है, खाने के लिए नहीं. हालांकि, ऐसे विज्ञापन नारियल तेल को हेयर ऑयल और एडिबल ऑयल के तौर पर वर्गीकृत करने के लिए काफी नहीं हैं.' सुप्रीम कोर्ट ने मेरिको को लेकर भी साफ किया कि मेरिको के पैराशूट का कई कैटेगरी में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन है इस तरह यह स्थापित नहीं किया जा सकता कि ऑयल सिर्फ बालों के लिए है. साल 2019 में जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आर. भानुमति की बेंच इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने अलग-अलग फैसला दिया था. 

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