(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
नए संसद भवन को सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी, लेकिन एक जज ने गिनाईं ये कानूनी कमियां
सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच के दो सदस्यों जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने परियोजना को मंजूरी देने वाला बहुमत से फैसला दिया है. इस फैसले में यह कहा गया है कि डीडीए की तरफ से लैंड यूज बदलने की प्रक्रिया सही थी.
नई दिल्ली: नई संसद भवन और सरकारी इमारतों वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है. तीन जजों की बेंच ने 2:1 के बहुमत से माना है कि प्रोजेक्ट के लिए जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है. हालांकि, कोर्ट ने परियोजना में निर्माण कार्य शुरू करने से पहले हेरिटेज कमेटी की भी मंजूरी लेने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में यह कहा गया था कि राष्ट्रपति भवन, संसद, प्रधानमंत्री कार्यालय जैसी अहम इमारतों वाले सेंट्रल विस्टा इलाके में नया प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से लैंड यूज बदलवाया गया. DDA को ऐसा करने का अधिकार नहीं था. पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील इलाके में नया निर्माण करने के लिए उचित पर्यावरण मंजूरी नहीं ली गई. परियोजना को मंजूरी देने से पहले लोगों से आपत्तियां और सुझाव नहीं लिए गए. इलाके में तमाम ऐतिहासिक इमारते हैं, जो दिल्ली और देश की पहचान हैं. नए निर्माण से उन्हें खतरा हो सकता है.
केंद्र का जवाब इसके जवाब में केंद्र सरकार ने सभी दलीलों को निराधार बताया था. उसने यह भी कहा था कि पुराना संसद भवन बदलती जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त है. इसलिए, नया निर्माण ज़रूरी है. इस समय केंद्र सरकार के मंत्रालय एक-दूसरे से दूर कई इमारतों में बिखरे हैं. उन्हें आपस में जुड़ी इमारतों में एक साथ लाना भविष्य में सरकारी खर्च को बचाएगा. कामकाज को सुविधाजनक बनाएगा.
बहुमत का फैसला सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच के दो सदस्यों जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने परियोजना को मंजूरी देने वाला बहुमत से फैसला दिया है. इस फैसले में यह कहा गया है कि डीडीए की तरफ से लैंड यूज बदलने की प्रक्रिया सही थी. पर्यावरण मंजूरी लेते समय नियमों का पालन किया गया. दोनों जजों ने इस बात को स्वीकार किया है कि परियोजना शुरू करने से पहले हेरिटेज कमिटी की मंजूरी नहीं ली गई. उन्होंने कहा है कि कोई भी निर्माण करने से पहले इस कमिटी की मंजूरी जरूर ली जाए, क्योंकि पूरे इलाके में कई ऐतिहासिक धरोहर इमारतें हैं. इस फैसले में यह भी कहा गया है कि प्रदूषण से बचने के लिए प्रोजेक्ट का निर्माण करते वक्त वहां पर उचित संख्या में स्मॉग टावर लगाए जाएं.
एक जज ने कानूनी कमियां गिनाईं बेंच के सदस्य जस्टिस संजीव खन्ना ने अल्पमत का फैसला दिया है. इस फैसले में उन्होंने कहा है कि लैंड यूज बदलने की प्रक्रिया कानूनी रूप से सही नहीं थी. पर्यावरण मंजूरी लेने की प्रक्रिया में भी स्पष्टता नहीं है. जस्टिस खन्ना ने हेरिटेज कमिटी की मंजूरी लिए बिना परियोजना शुरू करने को भी गलत बताया है.
अब शुरू हो सकेगा निर्माण नियमों के मुताबिक, बहुमत से आया फैसला ही मान्य होगा. ऐसे में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है. अब हेरिटेज कमिटी की मंजूरी और कोर्ट की तरफ से दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए परियोजना को आगे बढ़ाया जा सकेगा. 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास किया था. लेकिन उसके बाद से काम रुका हुआ था. अब निर्माण शुरू हो सकेगा.
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