Gujarat Riots Case: साल 2002 के गुजरात दंगों (Gujarat Riots) के बाद दाखिल याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बंद कर दिया है. इन सभी याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट से मामले की अपनी निगरानी में जांच करवाने की मांग की गई थी.  सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था. एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर दंगे से जुड़े लगभग सभी मामलों पर निचली अदालत का फैसला आ चुका है. आज याचिकाकर्ताओं ने माना कि अब उच्चतम न्यायालय में सुनवाई लंबित रखना ज़रूरी नहीं है.


आज यानी मंगलनार को लंबे अरसे के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लगा. चीफ जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भाट और जमशेद पारडीवाला की बेंच ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या अब सुनवाई की जरूरत है? इस पर एसआईटी के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि दंगों के 9 केस में से 8 में निचली अदालत फैसला दे चुकी है. कई लोगों को सज़ा मिली है. अब उनकी अपील हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. 


याचिकाकर्ताओं और एसआईटी के वकीलों ने क्या कहा?
वकील मुकुल रोहतगी ने जजों को बताया कि सिर्फ नरोडा गांव से जुड़े मामले में निचली अदालत का फैसला आना बाकी है. याचिकाकर्ता पक्ष के वकीलों अपर्णा भट्ट, एजाज मक़बूल और अमित शर्मा ने भी इससे सहमति जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अब पुरानी याचिकाओं को लंबित रखने की जरूरत नहीं है.


वकीलों से थोड़ी देर बात के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 20 साल से लंबित सभी याचिकाओं को बंद कर दिया. साल 2002 से 2004 के बीच दाखिल कुल 11 याचिकाओं का निपटारा किया गया है. इनमें सबसे प्रमुख थी 2003 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की तरफ से दाखिल याचिका. इसके अलावा सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस, फरजाना बानू, इमरान मोहम्मद, यूसुफ खान पठान, फादर सेड्रिक प्रकाश और उमेद सिंह गुलिया जैसे याचिकाकर्ताओं की भी याचिका पर सुनवाई आज औपचारिक रूप से बंद कर दी गई.


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