Supreme Court On Pawan Khera: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पिता पर अमर्यादित टिप्पणी मामले में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा पर दर्ज सभी FIR लखनऊ के हजरतगंज थाने में ट्रांसफर कर दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दी गई अंतरिम ज़मानत को 10 अप्रैल तक बढ़ा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खेड़ा लखनऊ की कोर्ट में नियमित जमानत का आवेदन दें.


23 फरवरी को हुई थी गिरफ्तारी
पवन खेड़ा पर असम में एक और यूपी में 2 समेत कुल 3 एफआईआर दर्ज हुई हैं. असम पुलिस ने 23 फरवरी को उनको दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उनकी तरफ से अपने बयान पर माफी मांगी गई थी. इसके बाद उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई थी. असम सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सभी मामले असम ट्रांसफर करने की मांग की. 


चीफ जस्टिस ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस ने कहा कि पहली एफआईआर वाराणसी में दर्ज हुई थी, दूसरी असम के दीमा हसाओ में और तीसरी लखनऊ में. मुकदमे की आसानी के लिए सभी मामलों को लखनऊ में ट्रांसफर करना बेहतर होगा. पवन खेड़ा की तरफ से सारे केस दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की गई, लेकिन कोर्ट ने इसे नहीं माना.


असम सरकार का विरोध
असम पुलिस ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा था कि खेड़ा ने माफी मांग कर सुप्रीम कोर्ट से राहत पाई, लेकिन उनकी पार्टी कांग्रेस अपने ट्वीट और सोशल मीडिया पोस्ट में पीएम के पिता का नाम जानबूझकर 'दामोदरदास' की जगह 'गौतमदास' लिखती रही. इससे साफ है कि खेड़ा की ज़ुबान गलती से नहीं फिसली थी, बल्कि उनकी पार्टी के लोग इस साज़िश में भागीदार हैं. उन्होंने कहा कि खेड़ा ने बयान जानबूझकर कर दिया था. इस बात की जांच होनी है कि इसके पीछे कौन लोग थे.


सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल मेहता ने कहा कि पवन खेड़ा ने आज तक अपने बयान पर सार्वजनिक माफी नहीं मांगी है. सिर्फ उनकी तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 23 फरवरी को कोर्ट को गुमराह करने के लिए माफी की बात कह दी थी. इस पर खेड़ा की तरफ से सोमवार को पेश हुए वकील ने एक बार फिर माफी की बात दोहराई. कोर्ट ने इसे अपने आदेश में नोट कर लिया.


राहुल गांधी के बयान और JPC की मांग पर संसद में गतिरोध जारी, सरकार बोली- माफी मांग लें तो... | 10 बड़ी बातें